असहनीय ग्रीष्मकाल को सहनीय बनाने के लिए आयुर्वेदानुसार ऋतुचर्या करें !

‘ग्रीष्मकाल में पसीना बहुत होता है । इससे, त्वचा पर स्थित पसीने की ग्रंथियों के साथ तेल की ग्रंथियां अधिक काम करने लगती हैं, जिससे त्वचा चिपचिपी होती है ।

अप्रैल २०१७ में केरल राज्य में अक्षय्य तृतिया के उपलक्ष्य में सनातन संस्था द्वारा किया गया धर्मप्रसार !

मुंबई में जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य स्वामी नरेंद्राचार्य महाराज का प्रवचन एवं दर्शन समारोह का आयोजन किया गया था। तदुपरांत हुई सनातन के साधकोंसे भेंट के समय सनातन संस्थापर आई बंदी के संकट के संदर्भ में उन्होंने कहा कि, ‘चिंता न करें ! ऐसा कुछ नहीं होगा।

स्वयं के कृत्य से ही ‘साधक आचरण कैसे करें ?’, इसका आदर्श सभी के समक्ष रखनेवाले प.पू. डॉक्टरजी !

किसी भी प्रकार की अर्थप्राप्ति न होते हुए भी अपना धन भी धर्मकार्य हेतु देकर त्याग करना, किसी भी प्रकार के आडंबर के बिना ‘प्रत्येक बात सादगी से तथा साधना स्वरूप करना, मान-सम्मान की अपेक्षा न रखनेवाले, कर्तापन ईश्‍वर को देकर निष्काम भावना से कार्य करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवले !

जातिभेद का विषैला कलंक पोंछकर साधनारूपी अमृत देनेवाले प.पू. डॉक्टरजी के चरणों में साधक द्वारा व्यक्त की गई कृतज्ञता !

मेरा जन्म पिछडे वर्ग के वीरशैव ढोर कक्कया जाति में हुआ है । इस जाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय जानवरों की चमडी उतारना है ।

नृत्य करने का मूल उद्देश्य साध्य करने के लिए ‘ईश्‍वरप्राप्ति के लिए नृत्यकला’ यह दृष्टिकोण सबके सामने प्रस्तुत करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

हमारी संस्कृति में नृत्यकला का प्रादुर्भाव मंदिरों में ही हुआ है । इसका विकास एक उपासना माध्यम के रूप में हुआ । इसके माध्यम से भी ईश्‍वरप्राप्ति हो, इसके लिए सनातन की साधिका श्रीमती सावित्री इचलकरंजीकर और डॉ. (कुमारी) आरती तिवारी ने नृत्य आरंभ किया है ।

प.पू. डॉक्टरजी द्वारा अथक परिश्रम कर की गई ध्वनिचित्रीकरण सेवा और तैयार हुआ संस्था का पहला प्रकाशन प.पू. भक्तराज महाराजजी के गाए हुए भजनों की ऑडियो कैसेट्स !

अब तक मराठी भाषा में ३६, हिन्दी भाषा में ३८० से अधिक, तथा तेलुगु और कन्नड भाषा में हिन्दुआें के त्यौहारों की जानकारी देनेवाली धर्मसत्संगों की दृश्यश्रव्य-चक्रिकाएं बनाई हैं । मराठी, हिन्दी, तेलुगु और कन्नड भाषा के धर्मसत्संगों का १४ चैनलों पर नियमित प्रसारण किया जा रहा है ।

आश्रम के रसोईघर का रूपांतर आदर्श अन्नपूर्णा कक्ष में करते समय परम पूज्य डॉक्टरजी का अथक परिश्रम और सब स्तरों पर सुनियोजन तथा फलोत्पत्ति बढाने हेतु मार्गदर्शन !

प.पू. डॉक्टरजी की अगणित विशेषताआें का संक्षिप्त वर्णन करना हो, तो कहना पडेगा कि वे एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिसके प्रत्येक कार्य, विचार और निर्णय में सत्यं शिवं सुंदरम का संगम है और जो अवतारी देवत्व की अनुभूति देता है ।

सूक्ष्म-चित्रकला के माध्यम से अज्ञान से ज्ञान की ओर एवं चित्रकलारूपी तेज की ओर से ज्ञानरूपी आकाश की ओर ले जानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवले !

  सूक्ष्म जगत से परिचित करानेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ! संसार में अनेक महाविद्यालय हैं; परंतु किसी भी कला महाविद्यालय में अध्यात्मसंबंधी शिक्षा नहीं दी जाती । ‘कला क्या है ?’ ‘कलाएं कैसे निर्मित हुई?’ ‘कलाएं कितने प्रकार की होती हैं’ ‘जीवन में कला का महत्त्व क्या है ?’, यह भी किसी कला महाविद्यालय … Read more

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की कृपा से महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संगीत विभाग की साधिका को हुई अनुभूतियां

संगीत, नाद-साधना है, स्वभावदोष और अहं जाने पर ही, चैतन्यदायी गायन हो पाएगा ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य के प्रेरणास्रोत परमपूज्य भक्तराज महाराज !

प.पू. भक्तराज महाराज ही परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कार्य के प्रेरणास्रोत हैं । इस संदर्भ में शब्दों में कुछ व्यक्त करना अत्यंत कठिन है । प.पू. बाबा का परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति प्रेम तथा उनके कार्य को मिले प.पू. बाबा के आशीर्वाद सांसारिक अर्थों में समझ सकें, इसके लिए यहां दे रहे हैं ।