पूर्णिमा एवं अमावस्या पर होनेवाले कष्ट एवं उन पर उपाय
पूर्णिमा एवं अमावस्या पर होनेवाले कष्ट एवं उन पर उपाय
पूर्णिमा एवं अमावस्या पर होनेवाले कष्ट एवं उन पर उपाय
सनातन संस्था के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की (प.पू. बाबा की) धर्मपत्नी तथा पू. नंदू कसरेकरजी की माताजी प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) (आयु ८६ वर्ष) ने १८ सितंबर को दोपहर २ बजे नाशिक में उनके कनिष्ठ पुत्र श्री. रवींद्र कसरेकर के आवास पर देहत्याग किया ।
‘पितरों के लिए थाली में सदैव उलटी दिशा में अन्न पदार्थ परोसने से रज-तमात्मक तरंगें उत्पन्न होकर मृत आत्मा के लिए अन्न ग्रहण करना संभव होता है ।’
पूर्वाग्रह, राग, भय के समान मूलभूत स्वभावदोषों के कारण अधिकांश लोगों के लिए खुलकर बात करना असहज रहता है । कुछ लोगों के मन में अनेक वर्षाें के प्रसंग तथा उस संबंधी भावनाएं रहती हैं । यदि मन में किसी भी प्रकार के विचार संगठित हुए, तो उसका परिणाम देह पर होता है तथा विभिन्न शारीरिक कष्ट आरंभ होते हैं ।
द्वारका स्थित शारदापीठ तथा बद्रिकाश्रम के ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी महाराज के देहावसान से हिन्दू धर्म के लिए धधकती ब्राह्मतेजकी ज्वाला शांत हो गई ।
कष्ट होनेवाले साधक अथवा संत का आध्यात्मिक स्तर, उनका समष्टि कार्य, उन्हें होनेवाला आध्यात्मिक कष्ट, अनिष्ट शक्तियों के उन पर हो रहे आक्रमण इत्यादि घटकों का विचार कर उन्हें नामजप, की जानेवाली उंगलियों की मुद्रा एवं उन मुद्राओं से किया जानेवाला न्यास ढूंढें ।
मनुष्य के जीवन में आनेवाली ८० प्रतिशत समस्याएं आध्यात्मिक कारणों से होती हैं । इन समस्याओं में शारीरिक एवं मानसिक विकार भी आते हैं । इन विकारों का कारण ८० प्रतिशत आध्यात्मिक होने से ये विकार मुख्यरूप से आध्यात्मिक स्तर के उपायों से ही ठीक होते हैं । ये आध्यात्मिक स्तर के उपाय, अर्थात प्राणशक्तिवहन … Read more
कुछ साधकों को स्मशान अथवा अन्य रज-तम प्रधान स्थानों पर व्यक्तिगत कारणों के लिए अथवा समष्टि सेवा के लिए जाना पडता है ।उन्हें विविध प्रकार के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक अथवा आध्यात्मिक स्वरूप के कष्ट होने से वे साधना भी ठीक से नहीं कर पाते ।
‘वर्तमान में देश एवं धर्म के दृष्टिकोण से आपातकाल चल रहा है । प्राकृतिक आपत्तियां सतत आना, देशद्रोही एवं धर्मद्रोही की प्रबलता बढना, राजकीय अस्थिरता निर्माण करनेवाली घटनाएं होना, समाज, राष्ट्र एवं धर्म के हित के शुभ कार्य में विघ्न आना इत्यादि आपातकाल के भौतिक लक्षण हैं । ऐसे काल में सामान्य नागरिकों का दैनंदिन जीवन संघर्षशील होता है !
अभ्यास एवं स्वानुभव न होते हुए भी पु.ल. देशपांडे ने किए नामजप के विषय के (नामस्मरण संबंधी) बेताल वक्तव्य ! मनोभाव से नामजप करने पर आचार में दोष नहीं रहता, यह सूर्यप्रकाश समान स्पष्ट है !