छोटे बच्चों के लिए वेखंड का उपयोग
छोटे लडके-लडकियों के गले में धागा बांधकर उसे छाती के स्तर तक आए एवं शरीर को स्पर्श हो, इसप्रकार वेखंड का टुकडा मजबूती से बांध कर रखें ।
छोटे लडके-लडकियों के गले में धागा बांधकर उसे छाती के स्तर तक आए एवं शरीर को स्पर्श हो, इसप्रकार वेखंड का टुकडा मजबूती से बांध कर रखें ।
किसी भी कारणवश (उदा. छिल जाना, कट जाना इत्यादि के कारण) व्रण (घाव) होने पर उस पर तुलसी का रस लगाएं ।
‘दूध युक्त चाय पीने से पित्त बढता है । अल्पाहार के साथ हम चाय पीते हैं । अल्पाहार के पदार्थाें में नमक होता है ।
‘एक बार मुझे बहुत निराशा आई थी । दैनंदिन जीवन की भागदौड से मैं इतना ऊब गया था कि मुझे लगने लगा, ‘घर छोडकर मैं कहीं दूर चला जाऊं ।’ तब मैंने अनायास अपने आयुर्वेद के गुरु वैद्य अनंत धर्माधिकारी से संपर्क कर, अपनी मनःस्थिति बताई । इस पर वे बोले,
‘कई बार (उदा. तीज-त्योहार के दिन) अधिक भोजन करने से पेट भारी होकर अपचन की संभावना होती है ।
जो शारीरिक श्रम करते हैं, यदि वे ३ बार आहार लें, तो ठीक है; परंतु जो बैठकर काम करते हैं, उन्हें केवल २ बार भोजन करना चाहिए । इससे अधिक खाने पर वह स्वास्थ्य के बिगडने का कारण बन जाता है ।’
‘तडका देकर बनाए पोहे, यह अल्पाहार में अधिक खाया जानेवाला पदार्थ है । कुछ लोगों को तडका देकर बनाए पोहे खाने से गले एवं छाती में जलन एवं मितली आने जैसे कष्ट होते हैं ।
औषधि अपने मन से न लेते हुए वैद्यों के मार्गदर्शनानुसार ही लेनी चाहिए; परंतु कई बार वैद्यों के पास तुरंत ही जाने की स्थिति नहीं रहती । कई बार थोडी-बहुत औषधि लेने पर वैद्यों के पास जाने की आवश्यकता ही नहीं पडती । इसलिए ‘प्राथमिक उपचार’ के रूप में यहां कुछ आयुर्वेद की औषधियां दी हैं ।
‘चिकनगुनिया’ इस व्याधि का स्वरूप भले ही भयंकर है, तब भी यह प्राणघातक व्याधि नहीं है । वह ठीक हो जाती है और जोडों में वेदना भी ठीक हो सकती है । केवल योग्य समय पर वैद्य के पास जाना ओर उनसे पर्याप्त समय तक उपचार लेने की आवश्यकता है ।’
नींद न आने का मुख्य आध्यात्मिक कारण आंखों पर होनेवाला कष्टदायक शक्ति का आवरण एवं आंखों में विद्यमान कष्टदायक शक्ति है ।’ कष्टदायक शक्ति के जडत्व के कारण नींद आते हुए भी आंखें बंद नहीं होतीं ।