आंखों के रोग और उन पर होमियोपैथी की और बाराक्षार औषधि

  अनुक्रमणिका१. आंखों की देखभाल कैसे करें ?२. आंखों के लिए किए जानेवाले विशिष्ट व्यायाम बिस्तर पर लेटे-लेटे अथवा बैठकर या खडे होकर ये व्यायाम कर सकते हैं ।३. आंखों की बीमारी और उस पर होमियोपैथी की औषधियां३ अ. रूटा ३० अथवा २००३ आ. ॲकोनाइट ३०३ इ. अर्निका ३०३ ई. बेलाडोना ३०३ उ. आर्सेनिक आल्ब … Read more

आध्यात्मिक कष्टों के प्रकार

वातावरण में अच्छी और अनिष्ट शक्तियां कार्यरत होती हैं । अच्छी शक्ति अच्छे कार्य के लिए मनुष्य की सहायता करती हैं, जबकि अनिष्ट शक्तियां उसे कष्ट देती हैं । पूर्वकाल में ऋषि-मुनियों के यज्ञों में राक्षसों द्वारा विघ्न डालने का उल्लेख वेद-पुराणों की अनेक कथाओं में पाया जाता है ।

विजयादशमी का संदेश

सच्चा सीमोल्लंघन है, ‘विजय प्राप्त करने के लिए शत्रु की सीमा लांघकर युद्ध की चुनौती देना’, अपराजिता देवी की पूजा करने का अर्थ है, ‘विजय प्राप्त करने के लिए देवी से शक्ति मांगना’ तथा छोटे-बडों को अश्मंतक के पत्ते देने का अर्थ है ‘विजयश्री प्राप्त करने के लिए बडों का आशीर्वाद लेना’ !

ज्वर (बुखार) में उपयुक्त आयुर्वेद की कुछ औषधियां

ज्वर आने की संभावना होने पर अथवा जब ज्वर हो, तब २ – ३ दिन एक-एक गोली का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ दिन में २ – ३ बार लें । ३ वर्ष की कम आयु के बच्चों को एक चौथाई और ३ से १२ वर्ष की आयुवाले बच्चों को आधी, इस मात्रा में औषधि लें ।

आयुर्वेद की कुछ सुवर्णयुक्त औषधियां

आयुर्वेद की औषधियों में ‘सुवर्णयुक्त औषधियों (सुवर्णकल्प) की  उत्तम ‘रसायन’ में गणना होती है । ‘सुवर्ण’ अर्थात ‘सोने’ । सुवर्णयुक्त आयुर्वेद की औषधियों में साेने की भस्म होती है । इसलिए इस औषधि का मूल्य अधिक होता है ।

श्वसनसंस्था के विकारों में उपयुक्त आयुर्वेद की कुछ औषधियां

आयुर्वेद में राजयक्ष्मा (तपेदिक अर्थात टीबी) जैसी गंभीर बीमारियों में श्वसनसंस्था का दूषित कफ बाहर निकालना, शरीर की अग्नि का दीपन करना (पचनशक्ति सुधारना) और समस्त शरीर को बल देने के लिए इस औषधि का उपयोग होता है ।

हृदय एवं श्वसनसंस्था को बल देनेवाली आयुर्वेद की कुछ प्रसिद्ध औषधियां

श्वसनसंस्था और हृदय को बल देने के लिए इस औषधि का अच्छा उपयोग होता है । दम घुटने समान होना, बारंबार घबराहट होना, छाती तेजी से धडकना जैसे हृदय से संबंधित विशिष्ट लक्षणों में इस औषधि का उपयोग होता है ।

अधिक वर्षावाले प्रदेशों में निरोगी रहने के लिए दिनभर में केवल २ बार आहार लें !

वर्षा ऋतु में दिन में केवल २ बार आहार लेने की आदत डालने से एक बार लिया हुआ अन्न पूर्णरूप से पचने के पश्चात ही दूसरा अन्न जठर में आता है । इससे अन्नपचन ठीक होता है । शरीर को अतिरिक्त २ बार अन्न पचाने का श्रम नहीं होते । इसलिए बची हुई शक्ति अब बदले हुए वातावरण के अनुकूल बनने के लिए उपयोग में आती है ।

गुजरात के ‘कर्णावती समन्वय परिवार गुजरात’ संस्था द्वारा उत्कृष्ट धर्मप्रचार कार्य के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री द्वारा सनातन संस्था का सम्मान !

उत्कृष्ट धर्मप्रचार कार्य के लिए सनातन संस्था का सम्मान भाजपा शासित गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री श्री. भूपेंद्रभाई पटेल के द्वारा किया गया । मुख्यमंत्री ने सनातन संस्था के गुजरात के साधक श्री. चंद्रशेखर कद्रेकर का शॉल और प्रमाणपत्र देकर सम्मान किया ।

नोएडा और फरीदाबाद में श्राद्ध के विषय में प्रवचन

श्राद्ध विषय के प्रवचन ग्रेटर नोएडा के अजनारा होम्स सोसाइटी, पंचशील ग्रिंस 1 तथा सूरजपुर में तथा फरीदाबाद के सेक्टर 22 के मंदिर में सनातन संस्था द्वारा आयोजित किए गए थे । कई लोगों ने इन प्रवचनों का लाभ लिया । सभी जिज्ञासूओं का बहुत ही अच्छा एवं सकारात्मक प्रतिसाद रहा ।