जलने पर आयुर्वेद में प्राथमिक उपचार
गरम सलाई से जल जाने पर भी देसी घी लगाने पर अगले ही क्षण दाह शांत हो जाता है, इतना देसी घी प्रभावशाली है ।
गरम सलाई से जल जाने पर भी देसी घी लगाने पर अगले ही क्षण दाह शांत हो जाता है, इतना देसी घी प्रभावशाली है ।
इस लेख में हम अग्निहोत्र का साधना की दृष्टि से महत्त्व, अग्नि का महत्त्व, अग्निहोत्र की व्याख्या, अग्निहोत्र के प्रवर्तक, अग्निहोत्र का महत्त्व एवं अग्निहोत्र के लाभ संबंधी जानकारी देखेंगे ।
अग्निहोत्र के परिणाम स्वरूप भौतिकरीति से वायु की शुद्धि होने से मानवी मन की शुद्धि होती है । मन शुद्ध होने पर अपनेआप ही उसका विचार-आचार पर प्रभाव पडता है और अंतिमत: मनुष्य आनंदी होता है ।
ग्रहणकाल में की जानेवाली साधना का फल सहस्रों गुना मिलता है । इसके लिए ग्रहणकाल में साधना को प्रधानता देना महत्त्वपूर्ण है । सूतकारंभ से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक नामजप, स्तोत्रपाठ, ध्यानधारणा इत्यादि धार्मिक कार्याें में व्यस्त रहने से उसका लाभ मिलता है ।
अनिष्ट शक्तियां साधकों की पंचज्ञानेंद्रियां अपने नियंत्रण में लेने के लिए साधकों के मुख पर कष्टदायक (काला) आवरण निर्माण करती हैं । इससे साधकों का मुखमंडल काला-सा दिखाई देना, चेहरा अस्पष्ट दिखाई देना, आंखों में आग होना, चेहरे पर फुंसियां आना, चेहरे पर काले दाग-धब्बे पडना
वर्तमान में आपातकाल की तीव्रता बढती जा रही है । इसलिए साधकों को होनेवाले आध्यात्मिक कष्टों में भी वृद्धि हो रही है । साधकों का आध्यात्मिक कष्ट न्यून (कमी) होने हेतु परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने आध्यात्मिक उपायों की सामग्री उपलब्ध करवाकर साधकों को चैतन्य दिया है ।
घर के घर ही में प्राकृतिक पद्धति से हरे शाक-तरकारी का रोपण कर न्यूनतम (कम से कम) अपने कुटुंब के लिए तो विषमुक्त अन्न उगाना हमारे लिए सहज संभव है । तो चलिए ! सनातन के घर-घर रोपण अभियान में सहभागी होकर विषमुक्त अन्न का संकल्प करेंगे !
उसे रुग्णालय में दाखिल करना पडा । तब आचार्य देवव्रत ने विषैली खेती के पर्याय के रूप में प्राकृतिक खेती कर देखना निश्चित किया ।
‘कोकोपीट’का उपयोग, हाट से सेंद्रिय खाद खरीदकर लाना एवं पौधों को डालना, कंपोस्ट खाद बनाना, ये बातें सेंद्रिय खेती में आती हैं; प्राकृतिक खेती में नहीं ।