गुरु ग्रह अस्तंगत (डूबते) समय कौनसे कार्य करें ?

‘प्रत्येक वर्ष सूर्य के सान्निध्य के कारण मंगल, बुध, गुरु, शुक्र एवं शनि ग्रह अस्तंगत होते हैं । उसमें धर्मशास्त्र ने एवं मुहूर्त शास्त्रकारों ने गुरु एवं शुक्र की अस्तंगत कालावधि को विशेष महत्त्व दिया है ।

कुंडली का रवि-मंगल युति योग

रवि एवं मंगल, इन दो ग्रहों में अंशात्मक युति योग, केंद्र योग अथवा प्रतियोग हों, तो ऐसे व्यक्ति अपने क्षेत्र में साहसी एवं पराक्रमी होते हैं । रवि एवं मंगल इन ग्रहों में युति योग भिन्न-भिन्न राशि से एवं स्थान से विविध फल देते हैं ।

इच्छित कार्य शुभ मुहूर्त पर करने का महत्त्व

‘भारत में प्राचीन काल से महत्त्वपूर्ण कार्य को शुभ मुहूर्त पर करने की परंपरा है । अपने दैनंदिन जीवन में मुहूर्तों से संबंध समय-समय पर आता है । मुहूर्त इस विषय की प्राथमिक जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

व्यक्ति की मृत्यु के समय बनाई गई कुंडली पर (मृत्युकुंडलीपर) उसे ‘मृत्युत्तर (मृत्यु के पश्चात) गति कैसे मिलेगी ?’, यह समझ में आना एवं उसके अच्छे-बुरे कर्मों का बोध होना

‘जीव का जन्म एवं मृत्यु प्रारब्धानुसार होते हैं । जन्मकुंडली से जीव को इस जन्म में भोगे जानेवाले प्रारब्ध की तीव्रता एवं प्रारब्ध के स्वरूप का बोध होता है । जीव की मृत्यु के समय बनाई गई कुंडली द्वारा ‘जीव को मृत्यु के पश्चात कैसी गति मिलेगी ?’, यह समझ में आ सकता है । इसे ‘मृत्युकुंडली’ कह सकते हैं । मृत्युकुंडली से व्यक्ति द्वारा उसके अपने जीवन में किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का भी बोध होता है ।

प्रयागराज : माघ मेले में सनातन संस्था की आध्यात्मिक ग्रंथसंपदा एवं धर्मशिक्षा फलक प्रदर्शनी

माघ मेला के पावन अवसर पर सनातन संस्था द्वारा अखिल भारतीय धर्मसंघ, त्रिवेणी मार्ग, उत्तरी पटरी, सेक्टर-3, माघ मेला क्षेत्र प्रयागराज में ‘‘आध्यात्मिक ग्रंथसंपदा एवं धर्मशिक्षा फलक प्रदर्शनी’’ का आयोजन किया गया है । यह प्रदर्शनी दिनांक 14 जनवरी 2023 से दिनांक 28 जनवरी 2023 तक प्रतिदिन प्रात: 9.30 से रात्रि 8.30 तक चलेगी ।

आरएसएस की अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक के लिए गोवा पहुंचे मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अखिल भारतीय समन्वय बैठक करने के लिए सोमवार को गोवा पहुंचे । सूत्रों के अनुसार, बैठक दक्षिण-गोवा के नगेशी-पोंडा में होगी ।

श्री हनुमानचालीसा का पठन, श्रीहनुमान का तारक एवं मारक नामजप आध्यात्मिकदृष्टि से लाभदायी होना; परंतु स्तोत्रपठन की तुलना में नामजप का परिणाम अधिक होना

श्री हनुमानचालीसा का पठन करना एवं हनुमानजी का नामजप करना, इसका उसे करनेवालों पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका विज्ञानद्वारा अभ्यास करने के लिए रामनाथी, गोवा के सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’की ओर से परीक्षण किया गया ।

श्रीरामरक्षास्तोत्र पठन की तुलना में श्रीराम के नामजप का परिणाम अधिक होना

अपने यहां घर-घर में संध्या के समय भगवान के सामने दीप जलाने के उपरांत ‘शुभं करोति’ सहित श्रीरामरक्षास्तोत्र एवं श्री मारुतिस्तोत्र कहते हैं ।

रावणवध के उपरांत प्रभु श्रीरामचंद्रजी को अयोध्या पहुंचने में २१ दिन क्यों लगे ?

फेसबुक पर प्रसारित हुए इस संदेश में ‘श्रीराम ने रावण को दशहरा के दिन मारने के उपरांत २१ दिनों में वे पैदल चलते हुए अयोध्या पहुंचे थे । इसलिए दशहरे के २१ दिनों पश्चात दिवाली मनाई जाती है’, ऐसे आशय का संदेश प्रसारित किया जा रहा है । प्रभु श्रीरामचंद्र पुष्पक विमान से अयोध्या पहुंचे, ऐसा रामायण में उल्लेख है ।

‘ॐ नमः शिवाय ।’ नामजप करते समय एवं करने के उपरांत हुई विशेष अनुभूति

‘ॐ नमः शिवाय ।’ इस नामजप के कारण मन को शांति लगती है और आसपास एक रिक्ती है, ऐसा प्रतीत होने के साथ ही स्वयं भी रिक्ती होने से शिवजी ही सर्व कर रहे हैं, इसकी अनुभूति आना