संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज

इनका जीवन अद्वैतरूपी धर्मसिद्धांत प्रस्तुत करनेवाला होता है । अत: इनके जीवन और इनकी मार्गदर्शनात्मक शैली को ब्रह्मरूपी कर्मसिद्धांत प्राप्त हाेने से ये सिद्धांत ब्रह्मवाक्य समान अनुकरणीय हो गए हैं ।

अनिष्ट शक्तियों के कारण होनेवाले कष्टों पर मात करने के लिए होनेवाले कष्टों पर मात करने के लिए आध्यात्मिक स्तर पर उपायों की क्षमता एवं साधना बढाएं !

कालमहिमा अनुसार वर्तमान में अनिष्ट शक्तियों का प्रकोप होना

वर्तमान के कलियुग में बहुतांशी समाज धर्माचरण से विन्मुख हुआ है । इसलिए समाज एवं वातावरण के रज-तम इन कष्टदायक गुणों की प्रबलता बढ गई है । यह अनिष्ट शक्तियों को पोषक होने से उनकी प्रभाव बढ गया है और इससे उन्हें मनुष्यों को कष्ट देने की मात्रा भी बहुत बढ गई है ।

प.पू. भक्तराज महाराज की छायाचित्रात्मक स्मृतियां (भाग १) !

प.पू. भक्तराज महाराज के मध्यप्रदेश स्थित मोरटक्का एवं इंदौर के आश्रमों में जहां उनका वास्तव्य था, उस चैतन्यमयी वास्तु का छायाचित्रात्मक दर्शन लेंगे ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी की छायाचित्रात्मक स्मृतियां (भाग २) !

प.पू. भक्तराज महाराज सनातन के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के गुरु थे । उन्हीं के कृपाशीर्वाद से सनातन की स्थापना हुई । सनातन को प.पू. बाबा के उत्तराधिकारी प.पू. रामानंद महाराज का भी कृपाछत्र मिला । उनके आशीर्वाद से वर्ष १९९१ में स्थापित हुए सनातन के कार्य का विस्तार किसी ‍विशाल वटवृक्ष समान हो गया है । सनातन परिवार प.पू. बाबा के श्रीचरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञ है !

पशु-पक्षियों का सहजता से सद्गुरु की ओर आकर्षित होना, उनमें विद्यमान चैतन्य का द्योतक !

हम सभी ने कहीं न कहीं पढा ही होगा कि पूर्व के काल में ऋषि-मुनियों के आश्रम में पशु-पक्षी निर्भयता से विचरते थे । ऋषि-मुनियों की तपस्या की सात्त्विकता पशु-पक्षियों को भी ध्यान में आती है । प्रकृति भी उस सात्त्विकता को प्रतिसाद देती है, इसीलिए ऋषि-मुनियों के आश्रम में भी बहार आ जाती थी ।

फरीदाबाद में भव्य ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु संगठित होने का हिन्दुओं ने लिया संकल्प !

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत अठावले जी की 81वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य फरीदाबाद में 07 मई 2023 को शाम 4:30 बजे सिद्ध पीठ हनुमान मंदिर, एन.आई.टी. – 2 से भव्य ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ का आयोजन किया गया । हिन्दू राष्ट्र स्थापना का प्रण लेकर महाबली हनुमान जी के आशीर्वाद से 150 से अधिक हिन्दुओं ने ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ द्वारा हिन्दू राष्ट्र हेतु संगठित होने का संकल्प लिया ।

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के 81 वां जन्मोत्सव !

‘सनातन संस्था’के संस्‍थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले का 81 वां जन्‍मोत्‍सव सप्तर्षि की आज्ञा से इस बार ‘ब्रह्मोत्‍सव’ के रूप में मनाया गया है । सनातन संस्था के गोवा, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्यों से आए लगभग 10,000 से भी अधिक साधकों की उपस्थिति में अत्यंत भावभक्तिमय वातावरण में मनाया गया ।

दीपज्योति नमोस्तुते

पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।

ऋषि-मुनियों के आश्रम में विचरनेवाले पशु-पक्षियों का स्मरण करवानेवाले सनातन के आश्रम, संत एवं साधक की ओर आकृष्ट होनेवाले पक्षी !

प्राणी एवं पक्षी प्राकृतिक रूप से दुर्बल होने के कारण अन्य प्राणियों से बचने के लिए वे सुरक्षा के विविध मार्ग अपनाते हैं; परंतु साधकों अथवा संतों के संदर्भ में उन्हें निश्चिति होती है कि वे उनके पास सुरक्षित हैं । इसलिए पक्षी साधकों की ओर आकृष्ट होते हैं और निश्चिंत होेकर दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हैं ।

साधक की दृष्टि (नजर) उतारने से पहले क्या प्रार्थना करें और उतारते समय कौनसा नामजप करें ?

दृष्टि उतारने से पूर्व की जानेवाली प्रार्थना ‘हे भगवन, आप हमसे ईश्वरीय राज्य की स्थापना करवा रहे हैं । यह कार्य शीघ्र से शीघ्र पूर्ण होने हेतु मुझे एवं सभी साधकों को व्याधिमुक्त कर हमें अच्छा स्वास्थ्य एवं जीवन दें, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है !’