दीपज्योति नमोस्तुते
पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।
पुरातन काल से ही दीप को सर्वत्र आदर एवं श्रद्धा का स्थान है । आज भले ही बिजली के आधुनिक उपकरणों से सर्वत्र रोशनाई की जगमगाहट होती हो; परंतु जो तेज दीप में है, वह उस कृत्रिम जगमगाहट में तनिक भी नहीं होता ।
प्राणी एवं पक्षी प्राकृतिक रूप से दुर्बल होने के कारण अन्य प्राणियों से बचने के लिए वे सुरक्षा के विविध मार्ग अपनाते हैं; परंतु साधकों अथवा संतों के संदर्भ में उन्हें निश्चिति होती है कि वे उनके पास सुरक्षित हैं । इसलिए पक्षी साधकों की ओर आकृष्ट होते हैं और निश्चिंत होेकर दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हैं ।
दृष्टि उतारने से पूर्व की जानेवाली प्रार्थना ‘हे भगवन, आप हमसे ईश्वरीय राज्य की स्थापना करवा रहे हैं । यह कार्य शीघ्र से शीघ्र पूर्ण होने हेतु मुझे एवं सभी साधकों को व्याधिमुक्त कर हमें अच्छा स्वास्थ्य एवं जीवन दें, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है !’
नामजपादि उपाय करने से पूर्व साधकों को मानस कुदृष्टि उतारने से कष्टदायक शक्ति का आवरण अल्प समय में दूर होने के कारण नामजप में एकाग्रता बढने में सहायता मिलेगी ।
अब जग में आयुर्वेद को भारी मात्रा में मान्यता मिल रही है, इसलिए अब भारतीयों को भी अपनी आंखें खोलकर देखने का समय आ गया है । उसके लिए अनेक रोगों पर उपयुक्त कुछ वनस्पतियां अथवा फलों का उपयोग यहां देखेंगे ।
नमक का उपयोग हम अनेक स्थानों पर करते हैं । नमक पानी, यह अत्यंत सरल और प्रभावी उपाय है । उसके लाभ आगे दिए हैं ।
समाप्ति तिथि एवं शार्ङ्गधर संहिता में दिए हीनवीर्यता के काल में बहुत अंतर है ।
आस्थापन के मालिक ने उन्हें १० प्रतिशत वेतन देना जारी रखा । ‘तदुपरांत कुछ माह में दिवाली में खर्च करने के लिए उन्हें पैसे कम पड रहे होंगे’, ऐसे आस्थापन के मालिक को लगा; इसलिए उन्होंने २ सहस्र रुपये वेतन बढा दिए । उसी माह में उस साधक की मां को फेफडों का कष्ट शुरू हो गया और उसके लिए उन्हें महीने में २ सहस्र रुपयों की औषधियां लग रही थीं । ‘साधना करने से भगवान साधकों की कैसेे सहायता करता है ?’, इसका यह एक उत्तम उदाहरण है ।’
दोपहर के भोजन के उपरांत तुरंत ही अथवा दोपहर के भोजन के डेढ घंटे में दी हुई औषधि का परिणाम हृदय पर, इसके साथ ही समस्त शरीर पर होता है
मासिक धर्म के संदर्भ में कष्ट होते समय स्त्रियां आगे दिए गए आध्यात्मिक उपाय कर सकती हैं । इस संदर्भ में कुछ औषधियां आरंभ हों, तो उन्हें बंद न कर, उसके साथ ये आध्यात्मिक उपाय दे सकते हैं ।