शरीर में कमजोरी का इलाज : आयुर्वेद के प्राथमिक उपचार
कई बार कुछ लोगों को बहुत थकान लगती है। शरीर में कमजोरी का इलाज करने हेतू आगे दिए क्रम से प्राथमिक उपचार करें ।
कई बार कुछ लोगों को बहुत थकान लगती है। शरीर में कमजोरी का इलाज करने हेतू आगे दिए क्रम से प्राथमिक उपचार करें ।
पेट में तीव्र वेदना एवं एक से अधिक उलटी हुई हों, तो पेट के गंभीर विकार होने की संभावना है। ऐसे रोगी को पानी पीना भी धोकादायक हो सकता है ।
अनेक साधक आध्यात्मिक कष्ट पर मात करने के लिए आध्यात्मिक उपायों में बैठते हैं । वर्तमान में आपातकाल आरंभ होने से ऐसा नहीं है कि कष्ट पूर्णरूप से चला जाएगा । यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि कष्ट में भी यदि हम भगवान से अपना अनुसंधान टिकाए हैं, तो उसमें भी साधना होगी
आध्यात्मिक साधना करने से आत्मविश्वास जागृत होता है तथा व्यक्ति तनावमुक्त जीवन जी सकता है । वह साधना कर अपने कृत्य के फल के कार्य की अपेक्षा किए बिना कार्य कर सकता है तथा प्रत्येक कृत्य से आनंद प्राप्त करता है । फल की अपेक्षा रखे बिना काम करने से वह निःस्वार्थ कर्मयोग होता है, जिससे आध्यात्मिक प्रगति भी होती है । केवल ऐसा व्यक्ति ही धर्मरक्षा का कार्य सकता है ।
इस अवसर पर व्यासपीठ पर भागवताचार्य (अधिवक्ता) श्री. राजीवकृष्णजी महाराज झा, पू. भागिरथी महाराज, पूज्य संत श्रीराम ज्ञानीदास महात्यागीजी, अधिवक्ता (पू.) हरिशंकर जैनजी, महंत दीपक गोस्वामी के करकमलों से सनातन की ग्रंथशृंखला के अंतर्गत ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की अनमोल सीख’ ‘प्रत्यक्षरूप से साधना सिखाने की पद्ध्तियां’ इस हिन्दी एवं मराठी भाषा के ग्रंथ का लोकार्पण किया गया ।
कोरोना महामारी के काल में लोग भयग्रस्त थे । सर्वत्र ही वैसा वातावरण था, तब भी मेरा व्यवसाय भली-भांति चल रहा था । मेरा ऐसा भाव है कि ‘मेरा व्यापार गुरुदेवजी का है ।’ साधना मैं अपने लिए कर रहा हूं । कोरोना के काल में मेरा व्यवसाय ठीक से चल रहा था ।
सात्त्विक उदबत्ती में बांस की काडी होते हुए भी उसे जलाने के पश्चात उसमें जलाई गई धूपबत्ती समान ही सकारात्मक ऊर्जा पाई गई, लगभग उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा सात्त्विक उदबत्ती में मिली ।
आप सभी हिन्दू राष्ट्रवीरों को हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य हेतु भक्ति करने की बुद्धि तथा देवताओं की शक्ति प्राप्त हो, इसके लिए मैं भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना करता हूं !’
पृथ्वी पर जिन भूभागों पर सूर्यप्रकाश पडता है, उस समय एवं उसके पश्चात भी कुछ समय के लिए सूर्य का वातावरण पर परिणाम सूक्ष्म रूप से टिका रहता है; कारण सूर्यप्रकाश में दैवीय अस्तित्व होता है । इसलिए सूक्ष्म से अनिष्ट शक्तियों को सूर्यप्रकाश से युक्त भूभागों पर कार्य करना कठिन होता है ।
हमेशा बीमार पडना अथवा अपघात होने से साधना में बाधा आना, आध्यात्मिक कष्ट होना अथवा सेवा करते समय सेवा से संबंधित उपकरण, वाहन इत्यादि बंद पडना अथवा अन्य कुछ बाधाएं आना, इन सभी पर यह यंत्र उपयुक्त है ।