‘मीनार (टॉवर) मुद्रा’ द्वारा शरीर पर आया आवरण निकालने की पद्धति
सहस्रारचक्र पर पकडी हुई ‘मीनार’ मुद्रा (‘टॉवर’ की मुद्रा), साथ ही ‘पर्वतमुद्रा’ के कारण अनिष्ट शक्तियों का कष्ट शीघ्र दूर होने में सहायता मिलना
सहस्रारचक्र पर पकडी हुई ‘मीनार’ मुद्रा (‘टॉवर’ की मुद्रा), साथ ही ‘पर्वतमुद्रा’ के कारण अनिष्ट शक्तियों का कष्ट शीघ्र दूर होने में सहायता मिलना
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करें ?, भगवान श्रीकृष्ण को कौन सा फूल चढाते हैं ?, उसकी कितनी परिक्रमा करें ? इस संदर्भ में अधिक जान लें ।
दिनांक 17.7.2023 को सनातन संस्था की और से फरीदाबाद, सेक्टर 29 के सरकारी प्राथमिक पाठशाला (गव्हरमेंट प्रायमरी स्कूल) में वृक्षारोपण का विशेष उपक्रम किया गया ।
पू. अण्णा के आध्यात्मिक मार्गदर्शन एव प्रेमभाव, इसके साथ ही नामजप एवं आध्यात्मिक उपायों के कारण इस व्यावसायी के मद्यपान का व्यसन छूट गया ।
अनिष्ट शक्तियां ऊपरी-ऊपर कष्टदायक आवरण ला रही हैं। आध्यात्मिक उपचार करके वह कम करें।आवरण आध्यात्मिक उपचार द्वारा कैसे निकाले यह अवश्य पढें।
अधिक मास को ‘मलमास’ कहते हैं । अधिक मास में मंगल कार्य की अपेक्षा विशेष व्रत और पुण्यकारी कृत्य किए जाते हैं ।
ॐ मंत्र के विषय में अनेक सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं । ॐ एक वैश्विक ध्वनि (कॉस्मिक साउंड) होने से उससे विश्व की निर्मिति हुई है, यह उसमें से सर्वाधिक प्रचलित सिद्धांत है; परंतु भारतीय (हिन्दू) संस्कृति में ॐ का नियमित जप करने के पीछे केवल वही एकमेव कारण नहीं,
कुछ दिन पूर्व जब उन पर आक्रमण हुआ, उस समय उन्होंने ‘परमपूज्य गुरुदेवजी ने मेरी रक्षा की है । मुझे अभी बहुत कार्य करना है’, ऐसा बताया । अब उन्होंने कर्नाटक राज्य के अधिवक्ताओं का संगठन करने का दायित्व स्वीकार किया है ।
हिन्दू धर्म दुराचार को अधर्म मानता है । विश्वकल्याण की भावना से काम करना भी धर्म है । योग्य कृति को ही धर्म कहा गया है । अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर अन्यों को पीडा देना, अधर्म है । अभिव्यक्ति स्वातंत्रता की मुख्य अडचन यह है कि अभिव्यक्ति स्वतंत्रता अथवा स्वैराचार ?
‘किसी वस्तु पर कष्टदायक स्पंदनों का आवरण दूर करने के लिए भी उस वस्तु की किनार के सामने मुठ्ठी से आवरण निकालने पर उस वस्तु पर से भी आवरण शीघ्र निकल जाता है । तदुपरांत उस वस्तु के किनार के सामने हथेली रखकर आध्यात्मिक उपाय करने पर उसमें शीघ्र अच्छे स्पंदन आते हैं ।’