श्राव्य – दालन (Audio – Gallery)

नामजप, पूजा, आरती, भजन इत्यादि उपासना के कारण देवता के तत्त्व का लाभ मिलता है । आइए, सात्त्विक पद्धति से गाए गए इनके ऑडिओ सुनते है ।

श्रीराम द्वारा किए गए बाली वध प्रसंग से धर्माधिष्ठित उपदेश देनेवाला गुडी पडवा विशेष भक्तिसत्संग !

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गुडी पडवा का अर्थ है नए वर्ष का आरंभ दिन ! इस दिन का एक और ऐतिहासिक महत्त्व यह है कि इसी दिन प्रभु श्रीरामचन्द्र ने बाली का वध किया था ।
‘प्रभु श्रीराम ने अपने अवतारी कार्य में बाली वध की इस दिव्य लीला के माध्यम से हमें क्या शिक्षा दी है ?’ यह सीखने के लिए श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की चैतन्यमय वाणी में इस भक्तिसत्संग का भावपूर्ण श्रवण करेंगे । नववर्ष के अवसर पर आइए हिन्दू राष्ट्र के लिए अर्थात रामराज्य के लिए ब्रह्मध्वज लहराएं ।

आइए इस विशेष भक्तिसत्संग में समझ लेते हैं –

* श्रीराम की सुग्रीव से मित्रता और बाली वध की घटना !
* मृत्यु के समय बाली का प्रभु श्रीराम से संवाद और श्रीराम का बाली को धर्ममय उपदेश !


प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श से पावन हुए तीर्थराज प्रयाग की महिमा बतानेवाला महाकुंभ विशेष भक्ति सत्संग ! (भाग ३)

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भगवान श्रीराम, लक्ष्मण तथा सीता वनवास के लिए जाते समय तीर्थराज प्रयाग आए थे । उस समय, प्रभु श्रीराम ने तीर्थराज प्रयाग के दर्शन किए और लक्ष्मण एवं सीता को इनकी महिमा बताई । गंगा, यमुना तथा सरस्वती का त्रिवेणी संगम और उस संगम पर स्थित प्रयाग क्षेत्र, भगवान विष्णु के अवतार साक्षात प्रभु श्रीराम के चरणस्पर्श से और भी अधिक पवित्र हो गया । प्रयागराज में महाकुंभ पर्व के अवसर पर, आइए हम एक विशेष भक्तिमय सत्संग के द्वारा, श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमयी वाणी में इस दिव्य प्रसंग का अवलोकन/श्रवण करें ।

आइए इस सत्संग में सुनें –

१. शेषनाग के द्वारा किया गया ‘प्रयाग और त्रिवेणी संगम’ की महिमा !
२. प्रयागराज में त्रिवेणी संगम और वहां के पवित्र मंदिरों का मानस दर्शन !


महाकुंभ पर्व का मानसदर्शन करानेवाला महाकुंभ विशेष भक्तिसत्संग !

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१३ जनवरी २०२५ से प्रयागराज में आरंभ हो रहे महाकुंभ पर्व के अवसर पर श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमय वाणी में विशेष भक्तिसत्संग सभी के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है । कुंभ मेले में प्रत्यक्ष न जा पानेवाले प्रत्येक जीव को भी, इस भक्तिसत्संग के श्रवण से, मानसरूप में कुंभपर्व की अनुभूति निश्चित ही होगी ।

इस सत्संग में देखेंगे –

१. कुंभस्नान की आध्यात्मिक महिमा !
२. राजसी (राजयोगी) स्नान के निमित्त साधु-संतों की शोभायात्रा और श्रद्धालुओं की निस्सीम भक्ति के दर्शन !
३. तीर्थयात्रा की तुलना में मन को शुद्ध करने का महत्त्व अधिक है, यह सीख देनेवाला गुरु-शिष्य का प्रसंग !


महाकुम्भ पर्व की महिमा बतानेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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कुम्भ मेला विश्व की सबसे बडी धार्मिक यात्रा है ! कुम्भ पर्व के निमित्त प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन तथा त्र्यंबकेश्वर-नासिक, इन चार क्षेत्रों में प्रत्येक १२ वर्षों में होनेवाली इस धार्मिक यात्रा का हिन्दू जीवनदर्शन में महत्त्वपूर्ण स्थान है । कुम्भ पर्व की आध्यात्मिक महिमा एवं सांस्कृतिक महत्त्व अनन्यसाधारण है । १३ जनवरी को महाकुंभ मेला आरंभ हो रहा है । इस अवसर पर इस कुम्भ पर्व का अधिकाधिक आध्यात्मिक स्तर पर लाभ कैसे लें ? इस विषय में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) चैतन्यमय वाणी से जानेंगे !

इस सत्संग में देखेंगे –

१. कुम्भ मेला तथा प्रयागराज की महिमा !
२. कुम्भ मेले की उत्पत्ति की कथा !
३. कुम्भ मेला इस शब्द के ‘कुम्भ’ शब्द का भावार्थ तथा उस विषय में संत नामदेवजी की कथा !


दत्त जयंती के अवसर पर दत्तरूपी गुरुतत्त्व की महिमा का वर्णन करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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दत्त जयंती अर्थात त्रिदेवस्वरूप दत्तगुरु का अवतरण दिवस ! शिष्य के अज्ञान को नष्ट करना श्री गुरुतत्व का मुख्य कार्य है । अज्ञानी जीवों को ज्ञान प्रदान करने के लिए भगवान स्वयं श्री दत्तात्रेय प्रभु के रूप में सही समय पर प्रकट होते हैं तथा उन जीवों पर कृपा कर उन्हें आत्मबोध प्रदान करते हैं । इस कार्य के लिए श्री दत्तात्रेय प्रभु के अंश विभिन्न गुरुपरंपराओं के माध्यम से बार-बार श्री गुरु के रूप में अवतरित होते हैं । इसीलिए भक्तों के लिए ‘दत्त जयंती’ न केवल श्री दत्त गुरु का उत्सव है, बल्कि गुरुतत्त्व का भी उत्सव है ।

इस भक्तिसत्संग के माध्यम से आइए हम श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमय वाणी के माध्यम से दत्तरूप के सार को अनुभव करें ।


वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर श्रीविष्णु भक्ति की महिमा बतानेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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वैकुंठ चतुर्दशी की महिमा यह है कि इस दिन वैकुंठ के द्वार सभी भक्तों के लिए खुले रहते हैं । जो जीव इस दिन भक्तिभाव से भगवान विष्णु की पूजा तथा नामजप करता है, उस जीव को भगवान विष्णु के दिव्य वैकुंठधाम में स्थान अवश्य मिलता है । इसलिए आइए इस सत्संग के माध्यम से श्रीविष्णु की भक्ति का माहात्म्य समझें और श्रीविष्णु की आराधना करें । आइए हम अपने हृदय में श्रीविष्णु की भक्ति जगाकर श्रीविष्णु की कृपा प्राप्त करें ।

आइए श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) के मुख से भगवान विष्णु के भक्त देवर्षि नारद और स्वयं भगवान विष्णु के बीच का दिव्य संवाद सुनें ! और उसके द्वारा श्रीविष्णु ने प्रकट की श्रीविष्णु भक्तों की महिमा !


कार्तिकी एकादशी के अवसर पर, श्रीविष्णु महिमा का अनुभव करने के लिए एक विशेष भक्तीसत्संग !

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कार्तिकी एकादशी को ‘हरि प्रबोधिनी एकादशी’ अथवा ‘देवोत्थानी एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है । इस एकादशी पर भगवान विष्णु सहित सभी देवताओं की पूजा की जाती है । चातुर्मास में चार महीने की योग निद्रा के पश्चात कार्तिकी एकादशी से कार्यरत होनेवाले भगवान विष्णु के तत्त्व को अनुभव करने के लिए भक्तिसत्संग को सुनेंगे !

सत्संग के अन्य विषय :
1. कार्तिकी एकादशी का महत्त्व

2. कथा : महान संत नरहरि सोनार द्वारा अनुभव किया गया हरि-हर का अद्वैत !


दीपावली के उपलक्ष्य में विशेष भक्तिसत्संग !

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दीपावली के निमित्त ‘आंतरिक गुणदीपों का आध्यात्मिक दीपोत्सव’ यह शिक्षा देनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

‘दीपावली’ का त्योहार शक संवत अनुसार आश्विन मास एवं विक्रम संवत अपुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (धनत्रयोदशी), चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी), अमावस्या (लक्ष्मीपूजन) तथा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (बलि प्रतिपदा), ये ४ दिन मनाया जाता है । ‘वसुबारस’ एवं ‘भाईदूज (यमद्वितीया)’ दिवाली से जोडे जाते हैं; इसलिए उनका समावेश दिवाली में किया जाता है ।
इस भक्तिसत्संग के द्वारा दीपावली के अंतर्गत आनेवाले प्रत्येक दिन का आध्यात्मिक भावार्थ श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमय वाणी में समझ लेंगे । दीपावली पर बाह्य दीपों के दीपोत्सव के साथ-साथ आंतरिक गुणदीपों से अपने मनमंदिर को प्रकाशित कर आध्यात्मिक दीपोत्सव मनाएंगे !

सत्संग के अन्य विषय : अलक्ष्मी का हरण करनेवाली महालक्ष्मी देवी की आरती का भावार्थ जानेंगे तथा दीपोत्सव के चैतन्य से मनमंदिर का गर्भगृह प्रकाशित कर, पंचप्राणों की ज्योती से देवीमां को पुकारेंगे !


गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में श्री गणेशजी की विशेष और भक्तिमय आराधना सिखानेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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विघ्नहर्ता श्री गणेशजी का पूजन सर्व युगों में होता आ रहा है । श्री गणेश प्रथम पूजा के अधिकारी हैं । कोई भी व्रत उपवास हो, पूजा-अर्चना हो, मंगलकार्य हो, समारोह हो, किसी भी देवता का पूजन हो, सर्वप्रथम श्री गणेश का पूजन किया जाता है । भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेशोत्सव आरंभ होता है । तब से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तक अर्थात अनंत चतुर्दशी तक गणेश भगवान सभी को आनंद प्रदान करते हैं; इसीलिए गणेशोत्सव एक आनंदोत्सव है । ‘गणेशोत्सव के उपलक्ष्य में विघ्नहर्ता श्री गणेशजी की विशेष और अद्भूत आराधना कैसे करें ?’, यह सीखने हेतु श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमयी वाणी में भक्तिसत्संग श्रवण करेंगे !

इस सत्संग में जानेंगे –

१. मधु और कैटभ दैत्यों के संहार हेतु श्री विष्णु द्वारा की गई श्री गणेश की आराधना !

२;. त्रिपुरासुर के वध हेतु भगवान शिवजी द्वारा की गई श्री गणेश की आराधना !

३. श्री गणेश की पूजा में दूर्वा अर्पण करने का महत्त्व, तथा दूर्वा से संबधित भावजागृति के प्रयास !


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के निमित्त भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य जन्मलीला का रहस्य प्रकट करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ अर्थात साक्षात् लीलाधारी जगद्गुरु श्रीकृष्ण के अवतार-धारण करने का दिव्य दिन ! बालक-वृद्ध सभी जिसकी लालसा करते हैं, ऐसी मधुर तथा मनोहर श्रीकृष्ण की दिव्य लीला सुनकर, जीव उस कृष्णभक्ति में डूब जाता है । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के निमित्त श्रीसत्‌शक्ति (सौ.) बिंदा नीलेश सिंगबाळ (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमय वाणी में भक्तिसत्संग के द्वारा साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण की जन्मलीला तथा उसके पीछे के विविध दैवी रहस्य जानकर कृष्णभक्तिमय हो जाएंगे !


रक्षाबंधन के निमित्त श्रीकृष्ण तथा द्रौपदी का भक्तिमय नाता उजागर करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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रक्षाबंधन भाई-बहन की प्रीति दर्शानेवाला पवित्र त्योहार है ।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस त्योहार का विचार किया तो ध्यान में आता है कि माया के इस संसार में सभी संबंधों से परे हमारा केवल ईश्वर से ही जन्मों-जन्मों का नाता है । भगवान और द्रौपदी का भी ऐसा ही आध्यात्मिक नाता था ।

रक्षाबंधन के निमित्त श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यमय वाणी में भक्तिसत्संग के द्वारा, आर्तता एवं दृढ भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण, द्रौपदी की भक्ति सीखेंगे और हम भी भगवान से अपना नाता दृढ करेंगे !


गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में परब्रह्मस्वरूप गुरुदेव का वर्णन करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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गुरु-शिष्य का अटूट नाता दर्शानेवाला परमदिव्य महोत्सव अर्थात गुरुपूर्णिमा ! परब्रह्मस्वरूप, निर्गुण निराकार गुरुतत्त्व की लीलाओं का वर्णन सुनकर गुरुमय होने हेतु श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारीणी) की चैतन्यदायी वाणी में प्रसारित होनेवाले इस भक्तिसत्संग के माध्यम से गुरु के दिव्यत्व की अनुभूति लेंगे ।

इस विशेष भक्तिसत्संग से जानेंगे …

१. साक्षात परब्रह्मस्वरूप गुरु की महिमा !

२. गुरु का सामर्थ्य एवं गुरु आज्ञापालन का महत्त्व दर्शानेवाली संत समर्थ रामदास स्वामीजी की कथा !


आषाढी एकादशी के उपलक्ष्य में भगवान विठ्ठल की अपार भक्ति सिखानेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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आषाढ माह की एकादशी पर अनेक विठ्ठलभक्त वारकरी पैदल वारी (यात्रा) करते हुए महाराष्ट्र के पंढरपुर जाते हैं । इन भगवान विठ्ठल भक्तों की भक्तिमहिमा अब हम श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारीणी) की चैतन्यदायी वाणी में सुनेंगे ।

संत जनाबाई की भक्ति से ओतप्रोत भक्तिमय काव्यरचनाओं (अभंग) के माध्यम से भगवान श्रीविठ्ठल एवं भक्तों के मध्य बने भक्तिमय नाते को अनुभव करते हुए विठ्ठलभक्ति का आनंद लेंगे !


सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के अवसर पर श्री गुरुमहात्म्य प्रकट करनेवाला विशेष भक्ति सत्संग !

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‘इस वर्ष सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ८२वां जन्मोत्सव सप्तर्षि की आज्ञा के अनुसार  २७ से ३०.५.२०२४ तक मनाया जा रहा है । इस जन्मोत्सव के अवसर पर, आइए इस भक्तिसत्संग को सुनें जो श्री सतशक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की गुरुभक्तिमय वाणी से गुरु महात्म्य को प्रकट करता है और उनके प्रति कृतज्ञता की गहरी भावना जागृत करता है । इस भक्ति सत्संग के माध्यम से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की महानता को जानकर, उनके जन्मोत्सव के अवसर पर, उनके चरणों में श्री गुरुस्तुतिरूपी भक्ति नमनपुष्प अर्पित करें !

इस विशेष भक्ति में आइये जानते हैं –

१.  प्रत्येक जीव को उसकी भाव के अनुसार अनुभूति देनेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

२. कथा :  वामन पंडित की विद्वत्ता के अहंकार को नष्ट कर उनकी आत्म-जागृति करनेवाले समर्थ रामदास स्वामी !

३.  समर्थ रामदास स्वामी के समान अखिल मानव जाति को साधना सिखाकर उद्धार का मार्ग दिखानेवाले  सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

४. विभिन्न माध्यमों से साधकों का निर्माण और उद्धार करनेवाले श्री गुरु के चरणों में समर्पित भक्ति नमनपुष्प !


हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में हनुमानजी की भक्ति की महिमा का वर्णन करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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श्रीविष्णु ने श्रीराम रूप में पृथ्वी पर दिव्य अवतार धारण किया । उसके केवल ५ दिन उपरांत रामकार्य में सहयोग देने हेतु भगवान शिव ने हनुमानजी के रूप में अवतार लिया । हनुमानजी के तन-मन में प्रभु श्रीराम रहते हैं तथा उनका आचरण राममय है । रामभक्ति ही उनका मंत्र तथा रामसेवा ही उनका निदिध्यास अर्थात लगन है । ऐसे हनुमानजी की परमभक्ति सीखने हेतु हम श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यदायी वाणी में इस भक्तिसत्संग का श्रवण करेंगे ।

इस सत्संग में हम समझेंगे …

१. हनुमानजी का दिव्य अवतारधारण !

२. अंजनीमाता जैसी वीरमाता के गर्भ से जन्मे तेजस्वी पुत्र हनुमानजी !

३. श्रीराम द्वारा हनुमानजी की स्तुति !

४. हनुमानजी की दास्यभक्ति बतानेवाले कुछ प्रसंग !


भक्तिसत्संग (रामनवमी विशेष)

श्रीराम नवमी के उपलक्ष्य में श्रीराम की बाललीलाओं का वर्णन करनेवाला विशेष भक्तिसत्संग !

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२२.१.२०२४ को साक्षात रामलला मूर्तिरूप में अयोध्या में विराजमान हुए हैं । उसके कारण इस वर्ष का रामनवमी का उत्सव समस्त रामभक्तों के लिए अत्यंत विशेष है । हमारे अंतर में ‘श्री रामलला के प्रति भक्ति बढकर श्रीराम तत्त्व का हमें अधिकाधिक लाभ उठाना संभव हो’, इसके लिए श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी) की चैतन्यदायी वाणी में प्रसारित होनेवाले इस भक्तिसत्संग का हम श्रवण करेंगे तथा उसके द्वारा प्रभु श्रीराम की दिव्य लीलाओं की प्रत्यक्ष अनुभूति करेंगे ।

इस विशेष भक्तिसत्संग में श्रीराम की अवतारी बाललीलाएं समझ लेंगे !

त्रेतायुग में श्रीराम जन्म के कारण अयोध्या सहित सर्वत्र ही वातावरण में परिवर्तन आया । इस विशेष भक्तिसत्संग में हम प्रभु श्रीराम की विविध लीलाएं जैसे ‘अपने सुंदर एवं लाडले रूप से, अपनी बालसुलभ लीलाओं से एवं अपने मधुर तोतली बातों से श्रीराम द्वारा माता कौसल्या, पिता राजा दशरथ, महल के सेवक, संपूर्ण महल तथा संपूर्ण अयोध्या नगरी को मंत्रमुग्ध कर देना, एक ही समय दो रूप धारण कर माता कौसल्या को भ्रमित करना, माता को विराट रूप में दर्शन देना’ आदि का सुंदर वर्णन सुनकर उनके अवतारत्व की प्रतीति करेंगे ।


भक्तिसत्संग (महाशिवरात्रि विशेष)

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श्री सत्‌शक्‍ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की चैतन्‍यदायी वाणी में भक्‍तिसत्‍संग का भावपूर्ण श्रवण करें । महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव के प्रति अपनी भक्‍ति बढाएं । इस विशेष भक्‍तिसत्‍संग में हम सुनेंगे, १२ ज्‍योतिर्लिंगों की दिव्‍य महिमा तथा आदिशक्‍ति पार्वती मां द्वारा भगवान शिव को प्राप्‍त करने के लिए की गई कठोर तपस्‍या के विषय में ।


नामजप

आरती

स्तोत्र

चैतन्यमय नामधुन

‘जय रघुनंदन जय सीयाराम’ की नामधुन

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