श्राद्धकर्म में वर्जित वस्तुएं एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण
श्राद्ध के भोजन में उपर्युक्त पदार्थों का समावेश करने से पितरों को नीचे की योनियों में स्थान मिलता है; क्योंकि भारी तरंगों का गुणधर्म सदैव अधोदिशा में जाना होता है ।’
श्राद्ध के भोजन में उपर्युक्त पदार्थों का समावेश करने से पितरों को नीचे की योनियों में स्थान मिलता है; क्योंकि भारी तरंगों का गुणधर्म सदैव अधोदिशा में जाना होता है ।’
श्राद्ध में दर्भ (कुश), काला तिल, अक्षत, तुलसी, भृंगराज (भंगरैया) आदि वस्तुओं का उपयोग किया जाता है ।
‘दर्भ तेजोत्पादक है, अर्थात तेजकी निर्मितिके लिए कारक एवं पूरक है । अतः दर्भकी सहायतासे श्राद्धविधि करनेसे, उससे प्रक्षेपित तेजोमय तरंगोंके प्रभावसे श्राद्धके प्रत्येक विधिकर्ममें रज-तम कणोंके हस्तक्षेप की मात्रा घटकर विधिकर्मको गति प्राप्त होती है ।