मध्यप्रदेश में दत्त जयंती पर विभिन्न माध्यम से अध्यात्मप्रसार !
१. बांगर दत्त मन्दिर (देवास, मध्यप्रदेश) में ग्रंथ प्रदर्शनी पर उज्जैन के महापौर श्री. मुकेश टटवाल जी ने भेंट दीं ।
१. बांगर दत्त मन्दिर (देवास, मध्यप्रदेश) में ग्रंथ प्रदर्शनी पर उज्जैन के महापौर श्री. मुकेश टटवाल जी ने भेंट दीं ।
गीता जयंती के अवसर पर फरीदाबाद (हरीयाणा) में दिनांक 22 दिसंबर और 23 दिसंबर काे एचएसविपी, कन्वेंशन सेंटर, सेक्टर 12 में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया था । इस महाेत्सव में सनातन संस्था की ओर से ग्रंथ प्रदर्शनि लगाई गई थी, जिसका लाभ 100 से भी अधिक लोगों ने लिया ।
फरीदाबाद, 17 दिसम्बर 2023 को हिंदुत्ववादी संगठनो द्वारा श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में कलश यात्रा का आयोजन किया गया । इस कलश यात्रा में सनातन संस्था का सहभाग रहा ।
सनातन संस्था द्वारा युवकों में व्यक्तित्व विकास हो, इस लिए राजस्थान के जोधपूर, सोजत रोड एवं सोजत सिटी (जिला पाली) इन शहरों में युवा साधना एवं व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन किया गया ।
सनातन संस्था की ओर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हरियाणा राज्य के फरीदाबाद जिले में अलग अलग स्थानों पर ग्रंथ प्रदर्शनी लगाई गई ।
सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक, श्री सुरेश चव्हाणके जी को सनातन संस्था की प्रवक्ता, कु. कृतिका खत्री ने रक्षा सूत्र बांधकर ईश्वर से उनकी लंबी आयु की एवं सतत धर्म के लिए कार्यरत रहने के लिए बल मिलने की प्रार्थना की ।
दिनांक 17.7.2023 को सनातन संस्था की और से फरीदाबाद, सेक्टर 29 के सरकारी प्राथमिक पाठशाला (गव्हरमेंट प्रायमरी स्कूल) में वृक्षारोपण का विशेष उपक्रम किया गया ।
आध्यात्मिक साधना करने से आत्मविश्वास जागृत होता है तथा व्यक्ति तनावमुक्त जीवन जी सकता है । वह साधना कर अपने कृत्य के फल के कार्य की अपेक्षा किए बिना कार्य कर सकता है तथा प्रत्येक कृत्य से आनंद प्राप्त करता है । फल की अपेक्षा रखे बिना काम करने से वह निःस्वार्थ कर्मयोग होता है, जिससे आध्यात्मिक प्रगति भी होती है । केवल ऐसा व्यक्ति ही धर्मरक्षा का कार्य सकता है ।
आप सभी हिन्दू राष्ट्रवीरों को हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य हेतु भक्ति करने की बुद्धि तथा देवताओं की शक्ति प्राप्त हो, इसके लिए मैं भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रार्थना करता हूं !’
माया के भवसागर से शिष्य और भक्त को धीरे से बाहर निकालनेवाले, उनसे आवश्यक साधना करवानेवाले और कठिन समय में उन्हें निरपेक्ष प्रेम का आधार देकर संकटमुक्त करानेवाले गुरु ही होते हैं । ऐसे परमपूजनीय गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है ‘गुरुपूर्णिमा’ !