नमस्कार के लाभ
तनिक भी अहंभाव न रख नमस्कार करने से दोषों के पहाड भस्म हो जाते हैं, पतितजन पावन हो जाते हैं । लीनतापूर्वक नमस्कार कर शरणागत होने से भवसागर पार हो जाते हैं ।
तनिक भी अहंभाव न रख नमस्कार करने से दोषों के पहाड भस्म हो जाते हैं, पतितजन पावन हो जाते हैं । लीनतापूर्वक नमस्कार कर शरणागत होने से भवसागर पार हो जाते हैं ।
पूजाघर में कुलदेवता, श्री गणपति, कुलाचार के अनुसार बालगोपाल, हनुमान एवं श्री अन्नपूर्णा रखें । इनके अतिरिक्त अन्य देवता जैसे शिव, दुर्गा समान किसी उच्चदेवता की उपासना करते हों, तो वह रखें ।
देवपूजा होने के उपरांत हम आरती करते हैं । आज भागदौड के युग में हम नियमित आरती नहीं कर पाते, तब भी शुभदिन अर्थात नवरात्री, दिवाली आदि के समय हम आरती करते ही हैं ।
देवद, पनवेल के सनातन आश्रम में रहकर सेवा करनेवाले श्री. भालचंद्र जोशी को सूझी प्रार्थनाएं इस लेख में प्रस्तुत कर रहे हैं !
आजकल की बुद्धिवादी स्त्रियां पति के निधन के उपरांत कुमकुम लगाती हैं, यह सोच कर कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है । इस कृत्य से मृत पति की एवं उस विधवा की आध्यात्मिक स्तर पर हानि हो सकती है । इसलिए ‘हिंदू धर्म के विधिवत शास्त्र शुद्ध संस्कारों के पालन में ही हमारा कल्याण है’, यह समझकर धर्म के आगे अपनी बुद्धि न चलाकर धर्मपालन की ओर गंभीरता पूर्वक ध्यान दें ।’
जिसप्रकार बच्चे का लिंग गर्भाशय में ही निश्चित होता है, उस प्रकार बच्चे का नाम भी पूर्वनिश्चित ही होता है । शब्द, स्पर्श, रूप, रस एवं गंध, ये घटक एकत्रित रहते हैं; इसीलिए बच्चे का जो रूप है उसके अनुसार उसका नाम भी होता है ।
प्रत्यक्ष में देवतापूजन आरंभ करने से पूर्व, पूजनसामग्री एवं अन्य घटकों की संरचना उचित ढंग से करनी आवश्यक है । उक्त संरचना यदि पंचतत्त्वों के स्तरपर आधारित होगी, तो वह अध्यात्मशास्त्रीय दृष्टिकोण से उचित होगी ।
उषःकाल में प्रार्थना की कुंजी से दिन का द्वार खोलें और रात को प्रार्थना की कुंडी डालकर उसे बंद कर लें’, ऐसा सुवचन है ।यह वैज्ञानिक प्रयोगोंद्वारा भी सिद्ध हो गया है कि प्रार्थना से व्यक्ति को व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक लाभ होते हैं ।
आजकल कीमती वस्तुएं भेंटस्वरूप देने को उपहार मानते हैं; परंतु वास्तव में यह भावनावश किया गया कर्म है ।
आइए, गुरुदेव द्वारा मन में प्रज्वलित राष्ट्र्र-धर्म के कार्य की ज्योति से अज्ञान के अंधकार में डूबे समाज को दिशा देने का कार्य करें !