पुलिसकर्मियों को नीति और धर्म सिखाएं !

पुलिसकर्मियों को कानून, नीति और धर्म सिखाएं, जिससे वे निर्दोषों को प्रताडित करने और झूठी रिपोर्ट बनाने का पाप नहीं करेंगे !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

विज्ञानवादियों का शोध बच्चों के खेल समान !

‘पांच ज्ञानेंद्रियों, मन और बुद्धि से परे ज्ञान देनेवाला सूक्ष्म कुछ है, यह ज्ञात न होने से विज्ञानवादियों का शोध बच्चों के खेल समान है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दुओं का कल्पनातीत सर्वधर्मसमभाव

‘भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम ने रावण को युद्ध में मारा ।उसी रावण के भारत में २-३ स्थानों पर ‘रावण महाराज’ के नाम से मंदिर हैं ! इसलिए हिन्दूओं को कोई सर्वधर्मसमभाव न सिखाए !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

ईश्वरप्राप्ति पूर्णकालीन साधना है !

‘ईश्वरप्राप्ति आधे समय का काम (पार्ट टाइम जॉब) नहीं है; अपितु पूर्णकालीन साधना है । इसलिए हमारी प्रत्येक कृति हमें भक्तिभाव से करनी चाहिए ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

संतों ने ही भारत का मान बनाए रखा !

भारत की स्वतंत्रता से लेकर ७५ वर्ष भारत पर राज्य करनेवाली अभी तक की सरकारों ने नहीं, अपितु संतों ने ही संसार में भारत का मान बनाए रखा है । – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

भारतीयो, साधना का महत्त्व समझो !

‘आजकल पश्चिमी देशों में अधिकांशतः लडने के लिए कोई अपना चाहिए; इसलिए विवाह करते हैं । आगे लडाई-झगडे से ऊब जाने पर संबंध विच्छेद करते हैं । पुनः विवाह करते हैं और पुनः संबंध विच्छेद करते हैं । यह चक्र जारी रहता है । हमारे यहां ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए साधना करें !’ … Read more

हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता समझें !

‘भ्रष्टाचार, बलात्कार, बुद्धिप्रमाणवाद, अनैतिकता, गुंडागिरी, देशद्रोह, धर्मद्रोह इत्यादि वर्तमान में जो इतना बढ गया है, उसका कारण हैं, स्वतंत्रता से लेकर अभी तक, ७५ वर्ष ,जनता को साधना, नैतिकता इत्यादि न सिखानेवाली अभी तक की सरकारें । इसी से हिन्दू राष्ट्र की अपरिहार्यता समझ में आती है !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

हिन्दू राष्ट्र की अपरिहार्यता समझें !

‘एक कपाटिका में (अलमारी में) कितना सामान रह सकता है, इसका विचार सामान्य व्यक्ति करता है ; परंतु देश में कितने करोड व्यक्ति सुख से रह सकते हैं, उन्हें पर्याप्त अन्न-जल मिल सकता है, इसका विचार न करने वाली अभी तक की सरकारों के कारण देश की जनसंख्या जो स्वतंत्रता के समय ३५ करोड थी, … Read more

आगामी पीढियों के कल्याण हेतु हिन्दू राष्ट्र आवश्यक है !

‘आधुनिकतावादी एवं बुद्धिप्रमाण वादी आगे ‘विवाहित स्त्रियां मंगलसूत्र न पहनें, कुमकुम न लगाएं, गौरी पूजन अथवा वट सावित्री का व्रत न करें’, इत्यादि फतवे निकालने लगें, तो आश्चर्य नहीं होगा ! इसलिए आगे की पीढियों के कल्याण हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करें !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले