वर्तमान की राजनीति..
‘कदाचित कोई एक ही सात्त्विक, पापभीरु व्यक्ति वर्तमान की राजनीति में रह सकता है । शेष सभी राजनीति से चार हाथ दूर रहते हैं । क्योंकि वर्तमान की राजनीति बहुत गंदी हुई है !’
‘कदाचित कोई एक ही सात्त्विक, पापभीरु व्यक्ति वर्तमान की राजनीति में रह सकता है । शेष सभी राजनीति से चार हाथ दूर रहते हैं । क्योंकि वर्तमान की राजनीति बहुत गंदी हुई है !’
‘मुसलमान एवं ईसाई उनका हित देखनेवालों को मतप्रदान करते हैं, जब कि बुद्धिप्रामाण्यवाद, समाजवाद, साम्यवाद इत्यादि विविध मानसिकता के अनुसार मत देते हैं । इसलिए उनके मत विभाजित होते हैं तथा भारत में उनका कोई मूल्य नहीं रह जाता ! हिन्दुओं को धर्म सिखाया तभी उनके मत अन्य धर्मियों समान एकगुट होंगे ।-’
राजनीतिक पक्ष एवं विविध संगठनों के समान सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति में पद न होते हुए पद का त्याग करनेवाले तथा दास्यभाव में रहनेवाले सेवा करते हैं ।
‘राजनीतिज्ञ का अर्थ है, राष्ट्र एवं धर्म के विषय में कोई कर्तव्य न रहनेवाला एवं केवल स्वार्थ देखनेवाला व्यक्ति !’
‘जिस समय आधुनिक वैद्य (डॉक्टर),अभियंता, अधिवक्ता, लेखा परीक्षक इत्यादि की बैठक होती है, उस समय उन क्षेत्रों के विशारदों की बैठक होती है; परंतु भारत की लोकसभा में राष्ट्र एवं धर्म, इन विषयों के विशारद नहीं होते । इसके विपरीत, इन विषयों से जिनका कोई भी देना-लेना न हो, उनके लिए यह बैठक होती है; … Read more
‘स्वार्थी राजनीतिज्ञ राजनीति करते हैं, जबकि निःस्वार्थी सनातन संस्था के साधक एवं हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता निःस्वार्थ भाव से धर्मकार्य करते हैं !’
यदि किसी विषय का अभ्यास उस विषय की पद्धति के अनुसार न कर कोई उसके संदर्भ में निश्चित रूपसे कहता है कि मेरा ही कहना उचित है, तो उसपर कोई गम्भीरता से ध्यान नहीं देता । यही स्थिति है बुद्धिप्रामाण्यवादियों की । अध्यात्म का अभ्यास अर्थात बिना साधना किए वे इस संदर्भ में भाष्य करते … Read more
राज्यकर्ता पक्ष निर्वाचनमें पराजित हो जाता है अर्थात निर्वाचनसे पूर्व १-२ वर्षतक जनमत उसके विरोधमें होते हुए भी वह पक्ष राज्य करता रहता है ।
अबतक हुए चुनावसे यह सिद्ध हो गया है कि चुनावसे पूर्व एक-दूसरेंके विरोधमें लडनेवाले एवं सभाओंके माध्यमसे एक-दूसरेपर आलोचना करनेवाले राजनीतिक पक्ष चुनावके पश्चात राष्ट्र एवं धर्महितके लिए नहीं, अपितु सत्ता एवं उसके माध्यमसे अपने स्वार्थके लिए एकत्रित आते हैं । इससे इन पक्षोंकी तत्त्वहीनता ध्यानमें आती है । ऐसे तत्त्वहीन राजनीतिक पक्षोंको सत्तामें लानेवाले … Read more
उपयोग करें एवं फेंक दें’ (Use and Throw)’ पाश्चात्त्यों की ऐसी जो आधुनिक संस्कृति है, उसे अब अनेक युवकों ने भी आत्मसात कर लिया है । इसलिए जिन मां-बाप ने जन्म दिया, जन्म से लेकर स्वावलम्बी होने तक सभी प्रकार से चिंता की, उदा. बीमारी में सभी सेवा की, शिक्षा दी, उनके विषय में कृतज्ञ … Read more