बाल्यावस्था जैसी पाश्‍चात्त्य शिक्षा !

पाश्‍चात्त्यों द्वारा दी जानेवाली सभी शिक्षा बाल्यावस्था जैसी है । यहां उसके केवल ३ उदाहरण दिए गए हैं, अपितु प्रत्येक क्षेत्र में यही बात है । १. आधुनिक वैद्यों को रोगी की प्रकृति वात, पित्त अथवा कफप्रधान है, यह ज्ञात नहीं होता । अतः वो सभी प्रकृतिवाले रोगियों को एक जैसी ही औषधियां देते हैं … Read more

अध्यात्म का महत्त्व न जाननेवाले राज्यकर्ताआें के कारण देश का विनाश हुआ है !

अध्यात्म को छोडकर कोई भी विषय सात्त्विक, सज्जन, धर्मप्रेमी एवं राष्ट्रप्रेमी कैसे होना है, यह सिखाता है क्या ? ऐसा न होते हुए भी स्वतंत्रता के पश्‍चात के ७० वर्षों की अवधि में राज्य करनेवाले सर्वदलीय राज्यकर्ताआें ने अध्यात्म को छोडकर अन्य सभी विषयों को सिखाकर इस देश का विनाश किया है ।

हिन्दू राष्ट्र में साधना कैसे की जाती है ?

हिन्दू राष्ट्र में स्थित विद्यालयों में भूगोल, गणित, रसायनशास्त्र इत्यादि जीवन के लिए निरूपयोगी विषयों की अपेक्षा बच्चे सात्त्विक कैसे होंगे, अर्थात साधना कैसे की जाती है ?, इसकी शिक्षा दी जाएगी । उससे रामराज्य की भांति भ्रष्टाचार, बलात्कार, गुंडागर्दी, हत्याआें की संभावना ही न होने से पुलिसकर्मियों की आवश्यकता ही नहीं रहेगी !

कुछ अच्छा अथवा बुरा होनेपर इस प्रकार से दृष्टिकोण होना चाहिए !

‘कुछ अच्छा होनेपर ‘ईश्‍वर की कृपा से हुआ’, यह दृष्टिकोण होना चाहिए, तो कुछ बुरा होने से ‘मेरे प्रारब्ध के कारण हुआ’, यह विचार होना चाहिए । किसी ने यदि कुछ बुरा किया, तो उसके संदर्भ में ‘मेरे प्रारब्ध का घडा न्यून हुआ तथा बुरा करनेवाले के पापों का घडा शीघ्र ही भरकर ईश्‍वर उसको … Read more

बुद्धिजीवी के अपेक्षा ‘मुझे दिखाई नहीं देता’, इसका खुले मन से स्वीकार करनेवाला श्रेष्ठ !

मोतियाबिंदवाले व्यक्ति को छोटे अक्षर दिखाई नहीं देते । यदि उसे किसी ने पढकर दिखाया, तो मोतियाबिंदवाला व्यक्ति कभी ‘वहां अक्षर है, इसका आप भ्रम उत्पन्न कर रहे हैं’, ऐसा नहीं कहता । वह कहता है, ‘‘मुझे छोटे अक्षर दिखाई नहीं देते ।’’ उपनेत्र लगानेपर उसे छोटे अक्षर पढने आते हैं । इसके विपरीत बुद्धिजिवीयों … Read more

सत्संग का महत्त्व

तुम कितने भी दैवी हो, किंतु माया के कारण तुम पर आवरण आकर तुम को तुम्हारे मूल वंश का विस्मरण होता है । अतः निरंतर सत्संग में रहना महत्त्वपूर्ण है । अधिकांश छोटे बालक दैवी बालक होते हैं; किंतु सत्संग के अभाव के कारण उनका जीवन सफल नहीं हो सकता । जब शेर का बछडा … Read more

कुछ अच्छा अथवा बुरा होनेपर इस प्रकार से दृष्टिकोण होना चाहिए !

कुछ अच्छा होनेपर ईश्‍वर की कृपा से हुआ, यह दृष्टिकोण होना चाहिए, तो कुछ बुरा होने से मेरे प्रारब्ध के कारण हुआ, यह विचार होना चाहिए । किसी ने यदि कुछ बुरा किया, तो उसके संदर्भ में मेरे प्रारब्ध का घडा न्यून हुआ तथा बुरा करनेवाले के पापों का घडा शीघ्र ही भरकर ईश्‍वर उसको … Read more

हिन्दू राष्ट्र में भ्रष्टाचार, बलात्कार इत्यादि क्यों नहीं होंगे ?

‘हिन्दू राष्ट्र की पाठशाला में भूगोल, गणित, रसायन शास्त्र जैसे जीवन में जिनका कोई उपयोग नहीं, ऐसे विषयों की अपेक्षा, ‘बच्चे सात्त्विक कैसे हों ?’, इसका अर्थ ‘साधना कैसे करें ?’ इसकी शिक्षा दी जाएगी । इस कारण जिस प्रकार रामराज्य में नहीं थे, उसी प्रकार भ्रष्टाचार, बलात्कार, गुंडागिरी, हत्या इत्यादि भी हिन्दू राष्ट्र में … Read more

हिन्दुआें, बुद्धिजीवि एवं सर्वधर्मसमभावालों द्वारा हिन्दू बच्चों को विद्यालय में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने के लिए किए जा रहे विरोध को प्रखरता के साथ विरोध कर उनके प्रयासों को तोड डालिए !

मुसलमान एवं ईसाईयों के विद्यालयों में उनके धर्म की शिक्षा दी जाती है; किंतु इसके विपरीत हिन्दू बुद्धीजीवि एवं सर्वसमभाववाले विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने का विरोध करते हैं । उसके कारण हिन्दुआें की स्थिति केवल भारत में ही नहीं, अपितु विश्‍व में दयनीय हो चुकी है । इसका एकमात्र समाधान यह है … Read more

बुद्धिप्रामाण्यवादियों का अंधानुकरण ..

जिस प्रकार कुछ लोग अंधों का अनुकरण करते हैं, उसी प्रकार कुछ हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यावादियों का अनुकरण करते हैं; इसलिए अंधे के खाई में गिरने पर उसका अनुकरण करनेवाले भी उसी खाई में गिर जाते हैं । उसी प्रकार ऐसे हिन्दू बुद्धिप्रामाण्यादियों के साथ अधोगति की ओर जा रहे हैं !’