हिन्दू राष्ट्र में सब कानून…
हिन्दू राष्ट्र में सब कानून धर्म पर आधारित होंगे । अतः उनमें संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी । इनके पालन से समाज अपराध-मुक्त होकर साधनारत होगा ! -(परात्पर गुरु) डॉ.आठवले
हिन्दू राष्ट्र में सब कानून धर्म पर आधारित होंगे । अतः उनमें संशोधन की आवश्यकता नहीं होगी । इनके पालन से समाज अपराध-मुक्त होकर साधनारत होगा ! -(परात्पर गुरु) डॉ.आठवले
अन्य नियतकालिकों में बच्चों के जन्मदिन के उपलक्ष्य में छायाचित्र छापने हेतु विज्ञापन के पैसे देते हैं, जबकि ‘सनातन प्रभात’ में गुणवान बच्चों के छायाचित्रों के साथ उनकी आध्यात्मिक गुणविशेषताएं भी छापते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘प्रत्येक पीढी अगली पीढ़ी को समाज, राष्ट्र और धर्म के संदर्भ में अपेक्षा से देखती है । इसके स्थान पर प्रत्येक पीढी को ‘हम क्या कर सकते हैं ?’, ऐसे विचार कर ऐसा कार्य करना चाहिए कि अगली पीढ़ी को उसके संदर्भ में कुछ भी करने की आवश्यकता ही न हो और इस कारण वे … Read more
‘पश्चिमी संस्कृति शरीर, मन व बुद्धि को सुख देने हेतु प्रयत्नशील रहती है; जबकि हिन्दू संस्कृति ईश्वरप्राप्ति का मार्ग दिखाती है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘हिन्दू धर्म की सीख है कि ‘ईश्वर सर्वत्र हैं, सभी में हैैं’ । इसीलिए हिन्दुओं को अन्य पंथियों का द्वेष करना नहीं सिखाया जाता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
विजयादशमी से हिन्दू समाज और देशहित की रक्षा के लिए सीमोल्लंघन करें ! ‘वर्ष २०२१ ते २०२३ का काल जागतिक विश्वयुद्ध का होगा । इस काल में भारतीय सेना को भी सीमोल्लंघन करना पडेगा । भारतीय सीमा पर युद्ध प्रारंभ होने के पश्चात शत्रु राष्ट्रों के समर्थक बने देशांतर्गत शत्रु अराजकता उत्पन्न करने के लिए … Read more
‘अब तक हम कौशल विकास हिन्दू राष्ट्र – स्थापना के लिए हिन्दुओं को संगठित करने की दृष्टि से कर रहे थे । अब काल के अनुसार आपातकालीन परिस्थिति का प्रतिकार करने की दृष्टि से विशेषतः हिन्दुओं की रक्षा की दृष्टि से कौशल विकास करना होगा । वर्तमानकाल, आपातकाल अर्थात संकटकाल है और छह माह में … Read more
‘भारत में ‘भारतरत्न’ सर्वाेच्च पद है । संसार में ‘नोबेल प्राईज’ सर्वाेच्च पद है, और सनातन में उद्घोषित किया जानेवाला ‘जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति’ और ‘संत’ पद ईश्वर के विश्व में सर्वाधिक महत्त्व का है !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘गरीबी होना अथवा न होना, इसके पीछे ‘प्रारब्ध’ ऐसा कुछ कारण है’, यह न जाननेवाले साम्यवाद की डींगे हांकते है और जो गरीब हैं अथवा नहीं है, उनमें समानता लाने का प्रयत्न करते हैं !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले
‘पश्चिमी शिक्षण किसी भी समस्या के मूल कारण तक, उदा. प्रारब्ध, अनिष्ट शक्ति, कालमहात्म्य तक नहीं जाता । क्षयरोग होने पर क्षयरोग के कीटाणु मारने की औषधि न देकर केवल खांसी की औषधि देने जैसा उनका उपाय है !’ -(परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले