ईश्वर के समष्टि कार्य का महत्त्व
‘एक-एक भक्त की सहायता करनेवाले भगवान की अपेक्षा समष्टि की सहायता करनेवाले भगवान के राम, कृष्ण जैसे अवतार सभी को प्रिय होते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘एक-एक भक्त की सहायता करनेवाले भगवान की अपेक्षा समष्टि की सहायता करनेवाले भगवान के राम, कृष्ण जैसे अवतार सभी को प्रिय होते हैं ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘स्वतंत्रता से लेकर अभी तक के कितने राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के नाम कितने लोगों को ज्ञात हैं ?’ इसके विपरीत ऋषि मुनियों के नाम सहस्त्रों वर्षों से स्मरणीय हैं । – परात्पर गुरु डॉ. आठवले
‘पूर्वकाल में आयुर्वेद के कारण भी संसार में सर्वत्र भारत का नाम था । आगामी तृतीय विश्वयुद्ध के काल में औषधियां तथा डॉक्टर उपलब्ध नहीं होंगे । उस समय भारत को छोडकर अन्य देशों के नागरिकों के सामने ‘रोगग्रस्त रहना अथवा मरना’, इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं होगा । इसके विपरीत भारत में औषधीय वनस्पति … Read more
‘सच्चिदानंद ईश्वर की प्राप्ति कैसे करें, यह अध्यात्मशास्त्र बताता है । इसके विपरीत ‘ईश्वर हैं ही नहीं’, ऐसा कुछ विज्ञानवादी अर्थात बुद्धिप्रमाणवादी चीख चीख कर कहते हैं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
सनातन का आश्रम देखने के लिए आनेवाले कुछ लोग पूछते हैं, “आश्रम में कौन रह सकता है ?” इस प्रश्न का उत्तर है, ‘ईश्वरप्राप्ति के लिए अखंड साधना करने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति आश्रम में रह सकता है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
साधना करने पर कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है । अभी तक के युगों में लाखों साधकों ने यह अनुभव किया है; परंतु साधना पर विश्वास न रखनेवाले बुद्धिप्रमाणवादी साधना किए बिना ही कहते हैं, ‘कुंडलिनी दिखाओ, नहीं तो वह है ही नहीं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘धन प्राप्त करने के लिए भारतीय अमेरिका जाते हैं, जबकि ईश्वरप्राप्ति के लिए पूरे विश्व से लोग भारत में आते हैं ! इनमें से बुद्धिमान कौन है, यह आप ही निश्चित करें ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘मानवता सिखानेवाली साधना छोडकर अन्य सभी विषय सिखानेवाली आधुनिक शिक्षा प्रणाली के कारण राष्ट्र की परम अधोगति हुई है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘भ्रष्टाचार, बलात्कार, राष्ट्रद्रोह, धर्मद्रोह बढने का मूल कारण है, समाज को सात्त्विक बनानेवाली साधना न सिखाना । जिन्हें यह भी नहीं समझ में आता, ऐसे सर्व दल राज्य करने के योग्य हैं क्या ? केवल हिन्दू (ईश्वरीय) राष्ट्र में ही रामराज्य की अनुभूति होगी ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले
‘सिद्धान्तहीन राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए कुछ भी करते हैं ; जबकि साधक केवल ईश्वर को ही प्रसन्न करने के लिए कठोर प्रयास करने को तैयार रहते हैं !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले