देश के रसातल में पहुंचने का कारण !

‘प्रथम मुगल, आगे अंग्रेज और अब राष्ट्रप्रेम रहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कारण देश रसातल में पहुंच गया है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

समाजपुरुष द्वारा साधना करने का महत्व !

‘राजनीतिक पक्ष दल ‘हम यह देंगे, वह देंगे’ ऐसा कहकर जनता को स्वार्थी बनाते हैं और स्वार्थ के कारण जनता में वाद विवाद होते हैं । इसके विपरीत साधना त्याग करना सिखाती हैं; इस कारण जनता में वाद विवाद नहीं होते और सभी मिलकर एक परिवार के रूप में आनंद से रहते हैं ।’ – … Read more

सभी क्षेत्रों में देश की स्थिति दयनीय होने का कारण

‘जैसे जो डॉक्टर नहीं है, वह रोगी पर उपचार करे, तो स्थिति दयनीय होती है । वैसे ही जिसे राष्ट्र और धर्म के प्रति प्रेम नहीं है, उस जनता को ‘राष्ट्र और धर्म के विषय में प्रेम ना रखनेवाले’ राजनीतिक दलों को चुनने का अधिकार देने के कारण, देश की सभी क्षेत्रों में दयनीय स्थिति … Read more

विज्ञान की सीमा !

‘विज्ञान का अध्यात्म के सिद्धांतों के विषय में कुछ कहना वैसा ही है, जैसा नन्हें बालक का बडों के विषय में कुछ कहना !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

अध्यात्म सम्बन्धी शोधकार्य का महत्त्व !

‘विज्ञान को अधिकांशतः कुछ भी ज्ञात नहीं रहता, इसलिए किसी सिद्धांत को सिद्ध करने के लिए निरंतर शोध करना पडता है । इसके विपरीत अध्यात्म में सब कुछ ज्ञात होने के कारण वैसा नहीं करना पडता । अध्यात्म सम्बन्धी शोधकार्य विज्ञानयुग की वर्तमान पीढी को अध्यात्म पर विश्‍वास हो तथा वह अध्यात्म की ओर प्रवृत्त … Read more

अध्यात्म में शोध कार्य नहीं करना पडता

‘विज्ञान को अधिकांशतः कुछ भी ज्ञात न होने के कारण, बार-बार शोध कार्य करना पड़ता है । इसके विपरीत अध्यात्म में सब कुछ ज्ञात होने के कारण शोध कार्य नहीं करना पडता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

साधना के कारण किसी से ईर्ष्या, मत्सर अथवा द्वेष नही लगता

‘साधना के कारण ‘ईश्वर चाहिए’, ऐसा लगने लगे, तो ‘पृथ्वी की कोई वस्तु चाहिए’, ऐसा नही लगता । इस कारण किसी से ईर्ष्या, मत्सर अथवा द्वेष नही लगता, साथ ही अन्यों के साथ दूरी, झगडे नही होते.’ – परात्पर गुरु) डॉ. जयंत आठवले

खरा रामराज्य

‘रामराज्य केवल हिन्दू राष्ट्र में ही होगा !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

प्रत्येक में ईश्वर के अस्तित्व की शिक्षा देनेवाला हिन्दू धर्म !

‘ईश्वर सर्वत्र हैं, प्रत्येक में हैं’, यह हिन्दू धर्म की शिक्षा होने के कारण हिन्दुओं को अन्य धर्मियों का द्वेष करना नहीं सिखाया जाता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले