ऋषि-मुनियों के आश्रम में विचरनेवाले पशु-पक्षियों का स्मरण करवानेवाले सनातन के आश्रम, संत एवं साधक की ओर आकृष्ट होनेवाले पक्षी !
प्राणी एवं पक्षी प्राकृतिक रूप से दुर्बल होने के कारण अन्य प्राणियों से बचने के लिए वे सुरक्षा के विविध मार्ग अपनाते हैं; परंतु साधकों अथवा संतों के संदर्भ में उन्हें निश्चिति होती है कि वे उनके पास सुरक्षित हैं । इसलिए पक्षी साधकों की ओर आकृष्ट होते हैं और निश्चिंत होेकर दीर्घकाल तक उनके साथ रहते हैं ।