साधनाकी तीव्रतासे तडप तथा प्रतिकूल स्थितिमें भी अपनी श्रद्धाको ढलने न देनेवाली सोलापुरकी श्रीमती इंदिरा नगरकरदादी संतपदपर विराजमान !

सोलापुरकी इंदिरा चंदुलाल नगरकरमें विद्यमान सिखनेकी तडप बहुत ही प्रशंसनीय है । उन्होंने आयुके ७३वें वर्षमें पढना और लिखना सीख लिया । दैनिक सनातन प्रभात, साथ ही सनातनके ग्रंथ पढना संभव हो; इस तडपके कारण उन्होंने अक्षरोंसे परिचय करवा लिया ।

सादगीभरी जीवनशैली और उच्च विचारधारावाले निरासक्त कर्मयोगी बेळगाव (कर्नाटक) के ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त पू. (डॉ.) नीलकंठ अमृत दीक्षितजी (आयु ९० वर्ष) !

मेरे विवाह के पश्‍चात मेरे पति ने कर्नाटक राज्य के अनेक गांवों मे चिकित्सीय अधिकारी के रूप में काम किया; परंतु उन्होंने कभी अपने अधिकार का दुरुपयोग किया हो, ऐसा मैने कभी नहीं देखा ।

कर्म, ज्ञान एवं भक्ति का सुंदर संगम बने बेळगाव (कर्नाटक) के डॉ. नीलकंठ दीक्षितजी (आयु ९० वर्ष) सनातन के ८७ वें व्यष्टि संतपदपर विराजमान !

पू. दीक्षितदादाजी सदैव निर्विचार अवस्था में तथा अखंड भाव की स्थिति में होते हैं । दादाजी के शरीर में दैवीय परिवर्तन आए हैं तथा उनके अस्तित्व के कारण उनके निवास में भी परिवर्तन आए हैं ।

प्रेमभाव एवं परात्पर गुरु डॉक्टरजी के प्रति अनन्य भाव आदि गुणों से युक्त शालिनी माईणकरदादीजी (आयु ९२ वर्ष) !

शालिनी माईणकरजी (आयु ९२ वर्ष) विगत २७ वर्षों से सनातन संस्था के मार्गदर्शन में साधना कर रही हैं । आजकल वे उनकी पुत्री श्रीमती मेधा विलास जोशीसहित नंदनगद्दा, कारवार, कर्नाटक में रहती हैं ।

सात्त्विक, सहनशील वृत्ति, निरपेक्ष प्रेम आदि दैवीय गुणों से युक्त शालिनी माईणकरदादीजी (आयु ९२ वर्ष) संतपदपर विराजमान !

मूलतः सात्त्विक वृत्ति तथा अल्प अहं से युक्त माईणकरदादीजी ने गृहस्थी के प्रत्येक प्रसंग का सहनशीलता के साथ सामना किया । प्रत्येक प्रसंग को उन्होंने ईश्वरेच्छा के रूप में स्वीकार किया और अध्यात्म को प्रत्यक्षरूप से आचरण में कैसे लाना है ?, इसकी सीख सभी को दी ।

परात्पर गुरु पांडे महाराज का छायाचित्रमय जीवनदर्शन

ईश्वर की कृपा से ही प.पू. बाबाजी के छायाचित्रों द्वारा दर्शाया गया यह अल्प परिचय उनके चरणों में सविनय अर्पण करते हैं !

सनातन के ४२ वें समष्टि संत पू. अशोक पात्रीकरजी द्वारा वर्णित ‘एक अभियंता’ से ‘संत’ बनने तक की साधना यात्रा !

पू. अशोक पात्रीकरजी यवतमाळ (महाराष्ट्र) में शासन के ‘जीवन प्राधिकरण’ विभाग में ‘शाखा अभियंता’ के पद पर कार्यरत थे, तब वर्ष १९९७ में उनका संपर्क सनातन संस्था से हुआ ।

समष्टि कल्याण हेतु लाखों कि.मी. की दैवीय यात्रा करनेवाली सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने विगत ७ वर्षों में भारत के २९ राज्यों में से २४ राज्य तथा ७ केंद्रशासित प्रदेशों में से ४ प्रदेशों की यात्रा की हैं ।

साक्षीभाव, स्थिरता तथा नम्रता, इन गुणों से युक्त सनातन के आश्रम में रहनेवाले बलभीम येळेगाकर दादाजी ८२वें संत के रूप में संतपदपर विराजमान !

संत पू. (श्रीमती) अश्विनी पवारजी ने आश्रम के साधक श्री. बलभीम येळेगावकर (आयु ८४ वर्ष) संतपदपर विराजमान होने की घोषणा की ।

गुरुदेवजी के प्रति अचल श्रद्धा रखनेवाले सनातन के ७वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७० वर्ष) की साधनायात्रा

मेरा बचपन गांव में बीत गया । मैं जब ७-८ वर्ष का था, तभी मेरे पिताजी का देहांत हुआ । मां, दादी, ३ बडे भाई, मैं और बहन इतने लोग नान्नज के घर में रहते थे । हमने ७वीं कक्षातक की पढाई वहीं पूर्ण की ।