परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजीको अपने जीवनकार्यके विषयमें लगनेवाली कृतार्थता !
मैं ४३ वर्षकी अवस्थामें (वर्ष १९८५ में) साधनाकी ओर मुडा । ४५ वें वर्ष (वर्ष १९८७) में मुझे परम पूज्य भक्तराज महाराज (बाबा) गुरुरूपमें मिले । वर्ष १९९० में मुझे परम पूज्य बाबाने कहा, देश-विदेशमें सर्वत्र धर्मका प्रसार कीजिए ।