अनुपम प्रीति से सभी को ईश्वरप्राप्ति के लक्ष्य के समान धागे में पिरोनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘सनातन के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले अनेक साधकों ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को कभी नहीं देखा है; परंतु ऐसा होते हुए भी वे सभी परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा बताई गई साधना अत्यंत श्रद्धा के साथ कर रहे हैं । बाहर मोहमाया का प्रबल जाल होते हुए भी केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति … Read more

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी की देह तथा उनके उपयोग में अंतर्भूत वस्‍तुओं पर गुलाबी आभा आना

‘परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी की त्‍वचा, नख एवं केश जिस प्रकार पीले हो रहे हैं, उसके साथ ही उनकी आंखों का अंदरूनी भाग, हाथ-पैर के अंदरूनी भाग, तथा जीभ और होंठ भी गुलाबी हो रहे हैं । यह परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी में व्‍याप्‍त ईश्‍वर की सर्वव्‍यापक प्रीति के रंग का आविष्‍कार है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से स्थापित हुई आध्यात्मिक संस्था निर्माण किए जानेवाले ‘साधक-वृद्धश्रम’ का महत्त्व समझ लें !

वृद्धावस्था की पूर्वतैयारी के रूप में अब से ही अपने मनोलय की आदत डालें और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से स्थापित हुई आध्यात्मिक संस्था द्वारा निर्माण किए जा रहे ‘साधक-वृद्धाश्रम’ का महत्त्व समझ लें !

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ‘धर्मरक्षा’ एवं ‘साधकों को तैयार करना’ इस अलौकिक कार्य की योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन ने की प्रशंसा !

रूढी एवं परंपरा का अंधानुकरण न करते हुए उसके वैज्ञानिक एवं सामाजिक दृष्टिकोणों पर आप जो बल देते हैं, वह अत्यंत हितकारी है ।

बाह्य आडंबर की अनदेखी कर साधकों के उद्धार हेतु प्रयासरत रहनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती ।’ उज्जैन के सिंहस्थ पर्व में प्रसिद्ध साधु-संतों की ओर लोग आकर्षित हो रहे हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के शरीर में विद्यमान निर्गुण तत्त्व के कारण उनके सिरहाने के आवरणपर ॐ अंकित होने का अर्थ ‘ॐ’ कार के माध्यम से सगुणरूप में साकार नादब्रह्म !

८.७.२०१९ को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के नियमित उपयोगवाले सिरहाने के आवरण के २ स्थानोंपर ॐ अंकित हुआ दिखाई दिया ।

अध्यात्म के सर्वोच्चपदपर विराजमान होते हुए भी अखंडित शिष्यभाव में रहनेवाला महान व्यक्तित्व !

प.पू. डॉक्टजी सर्वोच्च परात्पर गुरुपदपर विराजमान हैं । इतनी उच्च स्थिति में होते हुए भी प.पू. डॉक्टरजी ने अपने शिष्यत्व को टिकाए रखा है । यह उनके अनेक कृत्यों से सिखने के लिए मिलता है ।

संतों के प्रति भाव रखनेवाले तथा जिन्होंने वास्तव में संतत्व का मोल जाना, वे परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

जो सच्चे संत हैं, उनके प्रति परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का भाव कैसा होता है, इसके कुछ प्रातिनिधिक उदाहरण हम इस लेख में देखेंगे । शब्दशः बताना हो, तो परात्पर गुरुदेवजी ने संतों का मोल जितना जाना है, उतना शायद ही अभीतक किसी ने जाना होगा ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के सिर के बालों के आकार में बदलाव आने का विश्‍लेषण !

संतों के चरणों से चैतन्य का सर्वाधिक प्रक्षेपण होता है । उसी प्रकार से अवतारी कार्य करनेवाले परात्पर गुरुदेवजी के सिर के बालों के मूल से समष्टि हेतु आवश्यक चैतन्य प्रक्षेपण होता है ।

हिन्दू धर्म के व्यापक अभ्यासी डॉ. शिबनारायण सेन संतपद पर विराजमान !

अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में १ जून को कोलकाता (बंगाल) की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के ‘ट्रुथ’ पाक्षिक के संपादक तथा हिन्दू धर्म के व्यापक अभ्यासी डॉ. शिबनारायण सेन के संतपद पर विराजमान होने का, तो तेजपुर (असम) की श्रीमती राणू बोरा तथा हावडा (बंगाल) के श्री. अनिर्बान नियोगी द्वारा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किए जाने की घोषणा की गई ।