भारतीय शास्त्रीय संगीत सुनकर जिसने निद्रानाश से मुक्ति पाई, वह इटली का तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी !

पंडित ठाकुर ने राग पुरिया के आलाप लेना आरंभ किया । इस राग में ऐसा एक चमत्कारिक प्रकार था कि जिससे मुसोलिनी केवल १५ मिनटों में ही निद्राधीन हुआ ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का मुखमंडल, आश्रम की दीवारें तथा साधकों के शरीरपर अनिष्ट शक्तियों के मुख और आकृतियां दिखाई देना

प्रत्येक युग में देवासुर युद्ध निरंतर होता रहता है । आज के इस कलियुगांतर्गत कलियुग में भी वह चल रहा है । सप्तलोकों में विद्यमान दैवीय अथवा अच्छी और सप्तपातालों में विद्यमान अनिष्ट शक्तियों में चल रहे इस युद्ध का स्थूल से प्रकटीकरण भूतलपर भी विविध रूपों में दिखाई देता है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का कक्ष तथा उससे संबंधित वस्तुओं में आए बुद्धिअगम्य परिवर्तन !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी समष्टि गुरु एवं जगद्गुरु होने के कारण उनका अवतारकार्य संपूर्ण ब्रह्मांड में चालू रहता है । इस कार्य को पूर्णत्व की ओर ले जाने हेतु उनके कक्ष में कार्यरत पंचतत्त्व अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होती हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का कक्ष तथा परिसर में स्थित वृक्षोंपर हुए अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण

वर्ष १९८९ से लेकर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जीवन में कई बार महामृत्युयोग आए । वर्ष २००९ में आया हुआ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का महामृत्युयोग तो बहुत कठिन था ।

बचपन से ही ईश्‍वर के अनुसंधान में रहनेवाले संभाजीनगर (महाराष्ट्र) के पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णीजी (आयु ६० वर्ष) !

श्री. कुलकर्णीकाका भले ही दोपहर को मिलें अथवा देररात मिलें, तब भी वे सदैव उत्साहित एवं आनंदित होते हैं ।

‘ईश्‍वरीय राज्य’ की निर्मिति की अटल प्रक्रिया : सूक्ष्म का ‘देवासुर युद्ध’ !

वातावरण में अच्छी और अनिष्ट दोनों प्रकार की शक्तियां कार्यरत होती हैं । कोई भी शुभकार्य करते समय अच्छी और अनिष्ट इन दोनों शक्तियों का संघर्ष होता है ।

हिन्दू धर्म के व्यापक अभ्यासी डॉ. शिबनारायण सेन संतपद पर विराजमान !

अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में १ जून को कोलकाता (बंगाल) की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के ‘ट्रुथ’ पाक्षिक के संपादक तथा हिन्दू धर्म के व्यापक अभ्यासी डॉ. शिबनारायण सेन के संतपद पर विराजमान होने का, तो तेजपुर (असम) की श्रीमती राणू बोरा तथा हावडा (बंगाल) के श्री. अनिर्बान नियोगी द्वारा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किए जाने की घोषणा की गई ।

बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों के लिए लडनेवाले माइनॉरिटी वॉच के अध्यक्ष अधिवक्ता रवींद्र घोष संतपद पर विराजमान !

‘बांग्लादेश के हिन्दुओं की रक्षा करना और उनके मानवाधिकारों के लिए लडते रहना ही मेरी साधना है । बांग्लादेश में मैं तलवार और बम के बल पर नहीं, अपितु साधना के बल पर कार्य कर रहा हूं ।…

प्रभु श्रीराम के प्रति उत्कट भाव एवं राममंदिर निर्माण के लिए समर्पित अधिवक्ता हरि शंकर जैन संतपद पर विराजमान !

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में संतपद प्राप्त करनेवाले पू. (अधिवक्ता) हरि शंकर जैनजी प्रथम हिन्दुत्वनिष्ठ है ! साथ हि उनके सुपुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन (३३ वर्ष) एवं उनके पोते का भी ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर घोषित किया गया ।

आश्रम की बढती सात्त्विकता की प्रतीति देनेवाले दैवी परिवर्तन !

सनातन आश्रम की सात्त्विकता की प्रतीति देनेवाले दैवी परिवर्तनों के आगे दिए कुछ उदाहरण देखें, तो यही अनुभव होता है कि ईश्‍वर सनातन पर कितनी कृपा बरसा रहे हैं ।