श्रीकृष्णतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां

सनातन हिंदू धर्म में अनेक त्यौहार हैं । उस दिन वातावरण में त्यौहार से संबंधित विशिष्ट देवता का तत्त्व प्रचुर मात्रा में कार्यरत रहता है । इस तत्त्व का लाभ अधिक से अधिक होने हेतु प्रयास किए जाते हैं ।

गायन का सूर यदि अंतरंग के आनंदमय कोष से न आए तो श्रीकृष्ण के आने का मार्ग अवरुद्ध होता है ! – प.पू. देवबाबा, किन्नीगोळी, मंगळूरू

‘गायन का सुर अपने अंतरंग के आनंदमय कोष से आना चाहिए । सूर इस प्रकार से नहीं मिला, तो श्रीकृष्ण के आने का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है ।

एक कलाकार की अहंकारी मानसिकता देखने पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बताई स्वभावदोष और अहं के निर्मूलन की प्रक्रिया लागू करने का महत्त्व ध्यान में आना

समाज में ऐसे कई कलाकार होते हैं, जो जानते तो थोडा ही ; किन्तु अपनी बात से अपनी बढाई अधिक करते हैं । इस से ‘कलाकारों ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बताई स्वभावदोष और अहं के निर्मूलन की प्रक्रिया का अवलंबन करना कितना महत्त्व का हैं’, यह ध्यान में आता हैं ।

दत्तात्रेय-तत्त्व आकर्षित और प्रक्षेपित करनेवाली कुछ रंगोलियां

भगवान दत्तात्रेय की पूजा से पूर्व तथा दत्त जयंती के दिन घर पर अथवा देवालय में दत्तात्रेय-तत्त्व आकर्षित और प्रक्षेपित करने वाली सात्त्विक रंगोलियां बनानी चाहिए ।

लक्ष्मीदेवीतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां

मंगलवार, शुक्रवार, कोजागरी पूर्णिमा, धनत्रयोदशी, यमदीपदान, देवदीपावली एवं श्री लक्ष्मीपूजनके शुभ प्रसंगमें लक्ष्मीतत्त्व की रंगोलियां बनाएं ।

श्री दुर्गादेवीतत्त्व आकर्षित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां

विशेषकर मंगलवार एवं शुक्रवारके दिन देवीपूजनसे पूर्व तथा नवरात्रिकी कालावधिमें घर अथवा देवालयोंमें देवीतत्त्व आकृष्ट  एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं ।

संगीताभ्यास कैसे करना चाहिए ?

ऐसा कहा जाता है कि संगीत एक ईश्‍वरीय देन है और जिसपर ईश्‍वर की कृपा है, वह गा सकता है; परंतु ईश्‍वर ने सभी को स्वयं के क्रियमाण के आधारपर अपना स्वप्न साकार करने की शक्ति दी है ।

भूमिपर सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के पदचिन्ह अंकित होनेपर उनमें विविध शुभचिन्ह दिखाई देना

१०.३.२०१८ को रामनाथी (गोवा) के सनातन आश्रम में आयोजित सौरयाग के दिन भूमिपर सद्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के पदचिन्ह अंकित हुए तथा उनमें विविध शुभचिन्ह दिखाई दे रहे थे ।

नामंसकीर्तन के माध्यम से ईश्‍वर के अनुसंधान में रहनेवाली चेन्नई की श्रीमती कांतीमती संतानम् (आयु ८१ वर्ष) संतपदपर विराजमान !

२५ अगस्त को पू. (श्रीमती) उमा रविचंद्रन् के निवासपर सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने श्रीमती कांतीमती संतानम् से भावपूर्ण संवाद किया । इस संवाद के समय ही सद्गुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने श्रीमती कांतीमती संतानम् (आयु ८१ वर्ष) के संतपदपर विराजमान हो जाने की घोषणा की ।