गोपियों के गुण
गोपियों को श्रीकृष्ण का वास्तविक रूप ज्ञात होते ही, वे उन्हें पूर्णत: समर्पित हुईं । अपना अहंकार त्यागकर, श्रीकृष्ण की शरण में गईं, यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात है ।
गोपियों को श्रीकृष्ण का वास्तविक रूप ज्ञात होते ही, वे उन्हें पूर्णत: समर्पित हुईं । अपना अहंकार त्यागकर, श्रीकृष्ण की शरण में गईं, यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात है ।
भाव उत्पन्न करने के लिए किए जानेवाले ऐसे प्रयोगों से साधक अंतर्मुख बनता है । साथ ही, थोडे समय के लिए ही क्यों न हो; वह भावस्थिति का अनुभव करता है । साधक के अंतर्मन में उभरनेवाली प्रतिक्रियाएं, स्वभावदोष एवं अहं के विचार, बाहर आने लगते हैं और उसका मन निर्मल होने लगता है ।
ब्रिटन के ‘एंग्लिया रस्किन युनिवर्सिटी’ द्वारा किए शोध के अनुसार स्ट्रोक (आघात) हुए रोगी तथा शारीरिक और मानसिक रोगों पर संगीत उपचारपद्धति (म्युजिक थेरपी) उपयुक्त हो सकती है ।
श्री. प्रदीप बारोट का पूरा परिवार ही संगीतमय है । उनके दादाजी पं. रोडजी बारोट विख्यात सारंगीवादक तथा रतलाम राजघराने के मान्यताप्राप्त संगीतकार थे ।
किसी भी समाज का संगीत जीवन, उस समाज के वास्तविक जीवन के साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के घटकों से पूर्णरूप से संलग्न होता है ।
‘भारत को ऋषि-मुनियों की महान परंपरा प्राप्त है । ऋषि-मुनियों द्वारा लिखे गए वेद, उपनिषद, पुराण इत्यादि मनुष्य को सर्वांगीण ज्ञान प्रदान करते हैं ।
जब से मुझे साधना समझ में आई, तब से मैं आने-जानेवाले लोगों को नामजप करने के लिए बताने लगा ।
‘कला ईश्वर की देन है । कला के माध्यम से साधना कर ईश्वरप्राप्ति की जा सकती है ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर (यूएएस)’ उपकरण के माध्यम से किया गया देवता का यंत्र, देवताआें के सात्त्विक चित्र और सात्त्विक रंगोली का वैज्ञानिक परीक्षण
दादी को जब से गुरुकृपायोग के अनुसार साधना समझ में आई, तब से अर्थात पिछले १५ वर्षों से वह प्रातःकाल उठकर मानसपूजा, नामजप, दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का वाचन, सारणी लेखन आदि व्यष्टि साधना के प्रयास नियमितरूप से करती है ।