श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का परिचय

‘हम कितना भी चिंतन करें, तब भी सद़्गुरु (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी (सद़्गुरु बिंदाजी) के सूक्ष्म आध्यात्मिक कार्य की व्याप्ति नहीं निकाल पाएंगे ! उनका सूक्ष्म कार्य अपार है; क्योंकि वह मानव बुद्धि से परे है ।

पितृपक्ष में श्राद्धविधि (श्राद्धकर्म) करने के पश्‍चात पितरों के पिंड में अत्‍यधिक सकारात्‍मक परिवर्तन होना

‘पितृपक्ष में पितरों के लिए किए श्राद्ध का श्राद्धविधि में उपयोग किए पिंडों पर क्‍या परिणाम होता है ?’, इसका वैज्ञानिक अध्‍ययन करने के लिए २७.९.२०१८ को रामनाथी, गोवा स्‍थित सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय’ द्वारा एक परीक्षण किया गया ।

ईश्वरीय राज्य का प्रतिरूप सनातन का प्रत्येक आश्रम, व्यवस्थापन का आदर्श उदाहरण !

सनातन के आश्रम, ईश्वरीय राज्य के प्रतिरूप ही हैं । परम पूज्य डॉक्टरजी ने हम साधकों को ऐसे आदर्श वातावरण में रखा है, यह हमारा महाभाग्य ही है । जिन्हें ईश्वरीय राज्य की आदर्श जीवनपद्धति देखनी है, वे सनातन के आश्रम में आकर देखें ।

‘एलोपैथिक सेनिटाइजर’ (रोगाणुरोधक) की तुलना में ‘आयुर्वेदिक सेनिटाइजर’ का उपयोग करना स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्‍टि से तथा आध्‍यात्मिक दृष्‍टि से भी लाभदायक होना

‘एलोपैथिक सेनिटाइजर’ और ‘आयुर्वेदिक सेनिटाइजर’ से प्रक्षेपित स्पंदनों का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए २५.४.२०२० को रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा एक परीक्षण किया गया ।

कलास्वतंत्रता के नाम पर देवी-देवताओं का अनादर करनेवाले धर्मविरोधी !

अनेक देवी-देवताओं के नग्न एवं अश्लील चित्र बनाए हैं । इन चित्रों की बिक्री कर, करोडों रुपये कमाए । ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ को इसकी जानकारी मिलते ही उसने इस विषय में जगह-जगह आंदोलन किए

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ‘धर्मरक्षा’ एवं ‘साधकों को तैयार करना’ इस अलौकिक कार्य की योगतज्ञ दादाजी वैशंपायन ने की प्रशंसा !

रूढी एवं परंपरा का अंधानुकरण न करते हुए उसके वैज्ञानिक एवं सामाजिक दृष्टिकोणों पर आप जो बल देते हैं, वह अत्यंत हितकारी है ।

संत भक्तराज महाराज और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के चित्र बनाते समय भावस्थिति का अनुभव होना

चित्र बनाते समय मैं भावस्थिति का अनुभव कर रहा था और मुझे इस स्थिति का पुनः-पुनः अनुभव करने का अवसर मिले; इसके लिए मैंने और दो चित्र बनाए । एक चित्र बनाने में मुझे लगभग ५ – ६ दिन लगे ।

सनातन संस्था के ध्वनीचित्रीकरण विभाग का विस्तारित स्वरूप और उसके अंतर्गत होनेवाले विविध विषय

दृश्य-श्रव्यचक्रिकाओं के माध्यम से घर-घर धर्मज्ञान का दीप जलाने का समष्टि ध्येय के साथ-साथ अंतःकरण भक्तिभाव से प्रकाशमय करना, यह ध्वनिचित्रीकरण सेवा के साधकों का व्यष्टि ध्येय है !

गोटिपुआ

‘नृत्य,’ यह चौंसठ कलाओं में से एक कला है । भारत के विविध प्रांतों में विविध प्रकार की नृत्यकलाएं देखने मिलती हैं । उनमें से ‘गोटिपुआ’ ओडिशा का एक नृत्य है ।

बाह्य आडंबर की अनदेखी कर साधकों के उद्धार हेतु प्रयासरत रहनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘हर चमकती चीज सोना नहीं होती ।’ उज्जैन के सिंहस्थ पर्व में प्रसिद्ध साधु-संतों की ओर लोग आकर्षित हो रहे हैं ।