परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के निमित्त श्रीविष्णु के रूप में हुआ उनका रथोत्सव : ईश्वर की अद्भुत लीला !
‘ईश्वर जब कोई कार्य निर्धारित करते हैं, तो प्रकृति, पंचमहाभूत, देवी-देवता एवं ऋषि-मुनि किस प्रकार उसे साकार रूप देते हैं ?’, यह दैवी नियोजन हम साधकों ने रथोत्सव के माध्यम से अनुभव किया ।