साधकों को प्रत्यक्ष कृति से सिखानेवाले परात्पर गुरु डॉ जयंत आठवलेजी !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की जीवन यात्रा देखें तो उनकी प्रत्येक कृति आदर्श है, यह पग-पग पर दिखाई देता है । साधक भी वैसे ही तैयार होें, वह सेवा की बारीकियों का अध्ययन कर प्रत्येक कृति ईश्‍वर को अपेक्षित ऐसी परिपूर्ण करें, ऐसी उनकी लगन है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के कक्ष और परिसर में हुए बुद्धिअगम्य परिवर्तन

जीव की साधना जैसे-जैसे वृद्धिंगत होती है, वैसे-वैसे उससे अधिकाधिक सात्त्विकता प्रक्षेपित होकर उसके संपर्क में आनेवाली वस्तु, वास्तु और आसपास का वातावरण चैतन्यमय बनने लगता है । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के समष्टि गुरु और जगद्गुरु होने से उनका अवतारी कार्य संपूर्ण ब्रह्मांड में आरंभ रहता है ।

परात्पर गुरु डॉक्टरजी का जन्मदिन साधकों द्वारा सृष्टि के अंत तक मनाया जाता रहेगा !

सामान्य मनुष्य का जीवन कुछ काल तक होने से उसका जन्मदिन उसकी मृत्यु तक ही मनाया जाता है । ईश्‍वर के अनादि और अनंत होने से उनके अवतारों का जन्मदिन (उदा. रामनवमी, जन्माष्टमी) भक्तगणों द्वारा सृष्टि के अंत तक मनाया जाएगा ।

प.पू. डॉक्टरजी द्वारा निर्मित रामनाथी आश्रम का महर्षि द्वारा विविध उपमा देकर किया गया वर्णन

रामनाथी आश्रम साक्षात श्रीमत् नारायण का वैकुंठ लोक है; क्योंकि अवतार लीला करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण यहां प्रत्यक्ष विराजमान हैं । 

वाहिनी पर प्रदर्शित होनेवाली धार्मिक मालिकाओं के संगीत में सात्त्विकता तथा पंडित जसराज द्वारा गाए आलापों के संदर्भ में साधक को प्राप्त ज्ञान !

लगभग ४-५ वर्ष पूर्व मैंने ‘देवों के देव महादेव’ नामक धारावाहिक की कुछ कडियां देखी थीं । उसमें बीच-बीच में पंडित जसराज के विशेषता से परिपूर्ण आलाप सुने । तत्पश्चात् मुझे उसका विस्मरण हुआ था;किंतु ४ माह पूर्व मुझे नींद में पंडित जसराज के आलाप लगातार सुनाई देने लगे ।

सनातन आश्रम में दत्तमाला के मंत्र जपते समय आश्रम परिसर में हुआ वैशिष्ट्यपूर्ण प्राकृतिक परिवर्तन

दत्तमाला मंत्र’ का पाठ प्रारंभ करने पर सनातन आश्रम के परिसर में गूलर के ५८ पौधे उगना और ये पौधे अर्थात प.पू. डॉक्टरजी के आसपास सुरक्षा-कवच निर्माण होने का द्योतक है, ऐसा योगतज्ञ दादाजी वैशंपायनजी ने बताया

विनम्र, निरपेक्ष एवं सेवाभावी पू. नीलेश सिंगबाळ !

पू. सिंगबाळजी में सीखने की वृत्ति भी अत्यधिक है । कोई कुछ नया बताए, तो पूरी एकाग्रता से सुनते हैं और उसके विषय में पूछते हैं । उनके मुख से श्‍वेत प्रकाश प्रक्षेपित होता दिखता था और उनमें प.पू. गुरुदेवजी की छवि दिखती थी ।

देवद (पनवेल) के सनातन के आश्रम में शिवगिरी महाराज की पादुका तथा दत्तपालकी का चैतन्यमय वातावरण में आगमन !

शिवगिरी महाराज की पादुका तथा दत्तगुरु के छायाचित्र का पूजन सनातन के ६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त हुए साधक श्री. अनिल कुलकर्णी ने किया, तो धर्मध्वज तथा धर्मदंड का पूजन ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त हुए श्री. अविनाश गिरकर ने किया ।

निरपेक्ष प्रेम देकर अतिथियों को अपनी ओर आकर्षित करनेवाला रामनाथी (गोवा) का सनातन आश्रम

सनातन आश्रम में प्रवेश करते ही हंसकर स्वागत होता है । बिना बताए ही सामान कक्ष में रखने हेतु सहायता की जाती है । साधक यह सर्व इतने प्रेम, सहजता और शीघ्र गति से करते हैं, कि आनेवाला देखते ही रह जाता है । कुछ पूछना नहीं पडता न ही कुछ मांगना पडता है ।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के कलाकारों की दयनीय स्थिति

सद्गुरु (सौ.) अंजली गाडगील काकूने बताया संगीत साधना में बैखरी वाणी की अपेक्षा अंतर्मन में नादब्रह्म जागृत करने का महत्त्व है । नहीं तो संपूर्ण जीवन ऐसे ही गाने में व्यर्थ जाएगा ।