सात्त्विक, सहनशील वृत्ति, निरपेक्ष प्रेम आदि दैवीय गुणों से युक्त शालिनी माईणकरदादीजी (आयु ९२ वर्ष) संतपदपर विराजमान !
मूलतः सात्त्विक वृत्ति तथा अल्प अहं से युक्त माईणकरदादीजी ने गृहस्थी के प्रत्येक प्रसंग का सहनशीलता के साथ सामना किया । प्रत्येक प्रसंग को उन्होंने ईश्वरेच्छा के रूप में स्वीकार किया और अध्यात्म को प्रत्यक्षरूप से आचरण में कैसे लाना है ?, इसकी सीख सभी को दी ।