श्री हनुमान तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली
श्रीहनुमान के मारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ५ बिंदू श्रीहनुमान के तारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ४ बिंदू
श्रीहनुमान के मारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ५ बिंदू श्रीहनुमान के तारक तत्त्वको आकृष्ट करनेवाली रंगोली मध्यबिंदू से अष्टदिशांमें प्रत्येकी ४ बिंदू
ईश्वर की कृपा से ही प.पू. बाबाजी के छायाचित्रों द्वारा दर्शाया गया यह अल्प परिचय उनके चरणों में सविनय अर्पण करते हैं !
विज्ञान के माध्यम से अग्निहोत्र का वातावरणपर क्या परिणाम होता है ?, इसके अध्ययन हेतु महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण हेतु यू.टी.एस्. (युनिवर्सल थर्मो स्कैन) उपकरण का उपयोग किया गया ।
बेंगलुरु की प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण से यह प्रमाणित हुआ है कि हम हवन और यज्ञ कर स्वयं को रोगों से दूर रख सकते हैं । एक दिन यज्ञ करने से १०० यार्ड क्षेत्र में १ मासतक प्रदूषण नहीं हो सकता ।
पू. अशोक पात्रीकरजी यवतमाळ (महाराष्ट्र) में शासन के ‘जीवन प्राधिकरण’ विभाग में ‘शाखा अभियंता’ के पद पर कार्यरत थे, तब वर्ष १९९७ में उनका संपर्क सनातन संस्था से हुआ ।
‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी विश्वकल्याण हेतु सत्त्वगुणी लोगों का ईश्वरी राज्य स्थापित करने हेतु प्रयासरत हैं । ज्योतिषशास्त्रानुसार वर्ष १९८९ से उनके जीवन में अनेक बार महामृत्युयोग आए हैं ।
प्राचीन काल में नगरों के नाम वहां के ग्रामदेवता, पराक्रमी राजा इत्यादि के नामों पर आधारित होते थे । इसलिए नगरों के नाम सात्त्विक होते थे ।
सद्गुुरु (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने विगत ७ वर्षों में भारत के २९ राज्यों में से २४ राज्य तथा ७ केंद्रशासित प्रदेशों में से ४ प्रदेशों की यात्रा की हैं ।
संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वरजी के कथनानुसार दीप चाहे जितना भी छोटा हो; परंतु उसमें संपूर्ण कक्ष को प्रकाशमान करने का सामर्थ्य होता है ।
संत पू. (श्रीमती) अश्विनी पवारजी ने आश्रम के साधक श्री. बलभीम येळेगावकर (आयु ८४ वर्ष) संतपदपर विराजमान होने की घोषणा की ।