सनातन आश्रम की कोटा फर्शपर अपनेआप उभरे ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनना

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के निवासवाले गोवा के सनातन आश्रम में लगाए गए कोटा फर्श पर वर्ष २०१३ में कुछ स्थानों पर अपनेआप ॐ अंकित हुआ था । १५.१२.२०१७ को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को इस ॐ के आसपास श्‍वेत वलय बनने की घटना दिखाई दी ।

सोलापुर (महाराष्ट्र) की सनातन संस्था की ६६वीं संत पू. नंदिनी मंगळवेढेकरजी (आयु ७८ वर्ष) की साधनायात्रा !

विविधतापूर्ण सेवाएं करनेवाली तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के निरंतर साथ होने की अनुभूति करनेवाली सनातन की संत पू. नंदिनी मंगळवेढेकर की साधनायात्रा को उन्हीं के शब्दों में जान लेते हैं ।

आनंद, चैतन्य एवं निर्गुणतत्त्वकी अनुभूति करानेवाला रामनाथीके सनातन आश्रममें संपन्न अद्वितीय संतसम्मान समारोह !

वैशाख कृष्ण नवमी अर्थात १३ मई २०१९ को सनातनके इतिहासमें सुवर्णाक्षरोंसे लिखी जानी चाहिए, ऐसी अद्वितीय घटना यहांके सनातनके रामनाथी आश्रममें घटित हुई ।

सर्वस्व त्याग कर साधना का आनंद अनुभव करनेवाले साधकों को आश्रय देनेवाली और उन्हें उच्च लोकों की अनुभूति करानेवाली पवित्र वास्तु का नाम है, सनातन आश्रम !

समाज के लोग सनातन के आश्रम में रहनेवाले साधकों को पागल समझते हैं । क्योंकि, आश्रम के छोटे से बडे तक किसी भी साधक को सांसारिक जीवन में रुचि नहीं रहती । इसी प्रकार, वे सब सांसारिक सुखों का, ऐश्‍वर्य का, तन, मन और धन का त्याग कर, आश्रम में साधना करते हैं । साधना करनेवाले व्यक्ति को सुखभोग, ऐश्‍वर्य आदि का महत्त्व शून्य लगता है ।

केवल साधक ही नहीं, ,अपितु प्राणी, पशु और पक्षियोंपर भी प्रेमकी वर्षा कर उन्हें अपनानेवाले प.पू. गुरुदेवजी !

सनातन संस्थाके अनेक साधक, बालसाधक एवं युवासाधक पूर्णकालीन साधना हेतु आश्रममें रहने आते हैं, वह केवल परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा उनपर किए जानेवाले निरपेक्ष प्रेमभावके कारण ही !

साधनाकी तीव्रतासे तडप तथा प्रतिकूल स्थितिमें भी अपनी श्रद्धाको ढलने न देनेवाली सोलापुरकी श्रीमती इंदिरा नगरकरदादी संतपदपर विराजमान !

सोलापुरकी इंदिरा चंदुलाल नगरकरमें विद्यमान सिखनेकी तडप बहुत ही प्रशंसनीय है । उन्होंने आयुके ७३वें वर्षमें पढना और लिखना सीख लिया । दैनिक सनातन प्रभात, साथ ही सनातनके ग्रंथ पढना संभव हो; इस तडपके कारण उन्होंने अक्षरोंसे परिचय करवा लिया ।

सादगीभरी जीवनशैली और उच्च विचारधारावाले निरासक्त कर्मयोगी बेळगाव (कर्नाटक) के ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त पू. (डॉ.) नीलकंठ अमृत दीक्षितजी (आयु ९० वर्ष) !

मेरे विवाह के पश्‍चात मेरे पति ने कर्नाटक राज्य के अनेक गांवों मे चिकित्सीय अधिकारी के रूप में काम किया; परंतु उन्होंने कभी अपने अधिकार का दुरुपयोग किया हो, ऐसा मैने कभी नहीं देखा ।

सनातन आश्रम में कोटा पटिया पर अपनेआप बने ॐ के चारों ओर श्‍वेत वलय निर्मित होना

साधना करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति जैसे-जैसे बढती है, वैसे-वैसे उसमें तथा उसके आसपास की वस्तुओं में भी, अनेक सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं ।

कर्म, ज्ञान एवं भक्ति का सुंदर संगम बने बेळगाव (कर्नाटक) के डॉ. नीलकंठ दीक्षितजी (आयु ९० वर्ष) सनातन के ८७ वें व्यष्टि संतपदपर विराजमान !

पू. दीक्षितदादाजी सदैव निर्विचार अवस्था में तथा अखंड भाव की स्थिति में होते हैं । दादाजी के शरीर में दैवीय परिवर्तन आए हैं तथा उनके अस्तित्व के कारण उनके निवास में भी परिवर्तन आए हैं ।

प्रेमभाव एवं परात्पर गुरु डॉक्टरजी के प्रति अनन्य भाव आदि गुणों से युक्त शालिनी माईणकरदादीजी (आयु ९२ वर्ष) !

शालिनी माईणकरजी (आयु ९२ वर्ष) विगत २७ वर्षों से सनातन संस्था के मार्गदर्शन में साधना कर रही हैं । आजकल वे उनकी पुत्री श्रीमती मेधा विलास जोशीसहित नंदनगद्दा, कारवार, कर्नाटक में रहती हैं ।