हिन्दू-संगठन एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का दिशादर्शक केंद्र !

केवल हिन्दुआेंको एकजुट करनेवाली विचारधारा ही दशे – धर्म की रक्षा तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कर सकती है, यह ध्यान में रख विविध हिन्दू संगठन, संप्रदाय, अधिवक्ता (वकील), विचारक आदि का दिशादशर्न करने हेतु आश्रम में कार्यशाला, अधिवेशन आदि का आयोजन किया जाता है ।

बुद्धिअगम्य जगत का अभूतपूर्व आध्यात्मिक शोधकार्य !

हिन्दू आहार, वेशभूषा, धार्मिक कृत्य, जप, मुद्रा व न्यास इ. के व्यक्ति व वातावरण पर हाेनेवाले अच्छे प्रभावों संबंधी १,००० से अधिक विषयों पर यूनिवर्सल थर्मो स्कैनिंग , पॉलीकाॅण्ट्रास्ट इटंरफेरन्स फोटोग्राफी इ. द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से शाेध किया है ।

साधकों में सद्गुणों का संवर्धन करनेवाला आश्रमजीवन !

साधकों को पूरा समय साधना के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध हो, इसके लिए परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने रामनाथी, गोवा में सनातन आश्रम की निर्मिति की है । यहां लगभग ६०० साधक आनंदमय आश्रमजीवन का लाभ ले रहे हैं । 

सामाजिक एकता का प्रतीक एवं राष्ट्ररक्षा, धर्मजागृति के कार्य का ऊर्जास्रोत हैं सनातन आश्रम !

ईश्‍वरप्राप्ति का सर्वोच्च ध्येय पाने के लिए अहं मिटाने हेतु प्रत्येक साधक प्रयत्नरत रहता है । किसी के मन में जाति-पाति, ऊंच-नीच आदि का विचार भी नहीं आता ।

आध्यात्मिक प्रगति हेतु पोषक वातावरण !

उत्तरोत्तर आध्यात्मिक प्रगति हेतु साधना को जीवन में उतारना आवश्यक होता है । आश्रम में होनेवाले स्वभावदोष एवं अहं निर्मूलन सत्संग, भाववृद्धि सत्संग, व्यष्टि साधना का ब्यौरा आदि द्वारा साधकों को साधना के विषय में क्रियात्मक स्तर का मार्गदर्शन मिलने से उनकी साधना में उत्तरोत्तर प्रगति होती है ।

जीवन की प्रत्येक कृति का एकमात्र उद्देश्य – साधना

पूजा के लिए डलिया में रखे फूलों की रचना सात्त्विक पद्धति से करने पर उससे भक्तिभाव के स्पंदन निर्मित होते हैं और पूजा भावपूर्ण होती है । माथे पर तिलक लगाने से आचारधर्म का पालन होता है ।

बेंगळूरु (कर्नाटक) के अधिवक्ता विजयशेखर ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

शांत एवं विनम्र स्वभाववाले, प्रामाणिक वृत्ति के और अन्याय के विरुद्ध लडने की लगन रखनेवाले बेंगळूरु (कर्नाटक) के अधिवक्ता विजयशेखर ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हुए ।नातन संस्था के कर्नाटक राज्य धर्मप्रसारक पू. रमानंद गौडा के शुभहस्तों श्रीकृष्ण की प्रतिमा भेंट देकर उनका सत्कार किया गया ।

कला के लिए कला नहीं, ईश्‍वरप्राप्ति के लिए कला

विविध कलाआें की ओर देखने का सनातन का दृष्टिकोण – केवल कला के लिए कला नहीं, ईश्‍वरप्राप्ति के लिए कला है । इसलिए, सनातन संस्था कला के माध्यम से भी ईश्‍वर को प्राप्त करना सिखाती है ।

रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में रहनेवाली कुसुम जलतारेदादी (आयु ८० वर्ष) सनातन के ९५वें संतपदपर विराजमान !

वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्थी ( संकष्ट चतुर्थी) अर्थात २२ मई २०१९ को संपन्न एक समारोह में कुसुम जलतारेदादीजी (आयु ८० वर्ष) के सनातन के ९५वें संतपदपर विराजमान । आश्रम में सेवारत कु. गुरुदास घोडके (आयु १३ वर्ष) तथा आश्र ममें वाहनोंका नियोजन और देखभाल करनेवाले श्री. परशुराम पाटिल (आयु ५० वर्ष) ये दोनों साधकों द्वारा ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गए ।

तन, मन एवं धन अर्पित कर गुरुसेवा करनेवाले तथा हिन्दू राष्ट्र स्थापनाका निदिध्यास रखनेवाले डिगस (जनपद सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र)के बन्सीधर तावडे सनातनके ९३वें संतपदपर विराजमान !

वैशाख पूर्णिमा अर्थात १८ मई २०१९को यहां गुरुपूर्णिमाके उपलक्ष्यमें आयोजित सत्संगसमारोहम में सनातन के सद्गुरु सत्यवान कदमजीने सभीको डिगस (तहसील कुडाळ)के श्री. बन्सीधर तावडे (आयु ७९वर्ष) सनातनके ९३वें संतपदपर विराजमान होनेका शुभसमाचार दिया ।