श्रवणभक्ति द्वारा संगीत का स्वाद चखनेवाले रसिक भक्त खरे अर्थ में जीवनमुक्त हो सकता है !
भगवान के प्रति उत्कट भाव जागृत होने के कारण संतों द्वारा स्वच्छंद रचे हुए ‘अभंग’ ये उत्स्फूर्तता से होनेवाली कला के आविष्कार का मूर्त अथवा साकार उदाहरण है ।
भगवान के प्रति उत्कट भाव जागृत होने के कारण संतों द्वारा स्वच्छंद रचे हुए ‘अभंग’ ये उत्स्फूर्तता से होनेवाली कला के आविष्कार का मूर्त अथवा साकार उदाहरण है ।
स्थूल रूप से भारतीय वाद्यों की अपेक्षा पश्चिमी वाद्य अधिक प्रगतिशील प्रतीत होते हैं किंतु सूक्ष्म रूप से देखने पर उसका परिणाम अच्छा नहीं होता । एक कार्यक्रम में इसका प्रयोग किया गया था ।
अनेक देवी-देवताओं के नग्न एवं अश्लील चित्र बनाए हैं । इन चित्रों की बिक्री कर, करोडों रुपये कमाए । ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ को इसकी जानकारी मिलते ही उसने इस विषय में जगह-जगह आंदोलन किए
‘नृत्य,’ यह चौंसठ कलाओं में से एक कला है । भारत के विविध प्रांतों में विविध प्रकार की नृत्यकलाएं देखने मिलती हैं । उनमें से ‘गोटिपुआ’ ओडिशा का एक नृत्य है ।
ब्रिटन के ‘एंग्लिया रस्किन युनिवर्सिटी’ द्वारा किए शोध के अनुसार स्ट्रोक (आघात) हुए रोगी तथा शारीरिक और मानसिक रोगों पर संगीत उपचारपद्धति (म्युजिक थेरपी) उपयुक्त हो सकती है ।
श्री. प्रदीप बारोट का पूरा परिवार ही संगीतमय है । उनके दादाजी पं. रोडजी बारोट विख्यात सारंगीवादक तथा रतलाम राजघराने के मान्यताप्राप्त संगीतकार थे ।
किसी भी समाज का संगीत जीवन, उस समाज के वास्तविक जीवन के साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के घटकों से पूर्णरूप से संलग्न होता है ।
‘भारत को ऋषि-मुनियों की महान परंपरा प्राप्त है । ऋषि-मुनियों द्वारा लिखे गए वेद, उपनिषद, पुराण इत्यादि मनुष्य को सर्वांगीण ज्ञान प्रदान करते हैं ।
‘कला ईश्वर की देन है । कला के माध्यम से साधना कर ईश्वरप्राप्ति की जा सकती है ।
रंगोलीकी सात्त्विकता बढनेपर देवतातत्त्व अधिक मात्रामें आकर्षित होनेमें सहायता मिलती है ।