वर्तमान में हो रही बीमारियों पर रामबाण उपाय !
मधुमेह में गूलर के कोमल पत्तों का स्वरस मधु (शहद) सहित दें । उसके साथ जामुन के बीज एवं शिलाजित दें ।
मधुमेह में गूलर के कोमल पत्तों का स्वरस मधु (शहद) सहित दें । उसके साथ जामुन के बीज एवं शिलाजित दें ।
मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणि है । पहले ५ महिनों में मां का दूध शिशु का मुख्य अन्न होता है । तब मस्तिष्क का विकास सबसे अधिक होता है; इसलिए मां के दूध में ऐसे घटक होते हैं कि जिससे वह दूध मस्तिष्क के विकास हेतु उत्कृष्ट अन्न प्रमाणित होता है ।
भारतीय नागरिक कैल्शियम बढाने के लिए गोलियां खाते हैं; परंतु कैल्शियम से भरपूर सहजन की फलियां खाने के प्रति उदासीनता दिखाते हैं !
तुलसी के पत्ते गरम व बीज ठंडा होता है । गर्मी न्यून करने हेतु १ चम्मच तुलसी के बीज आधा कटोरा पानी में भिगोएं और सवेरे उसमें १ कटोरा गुनगुना दूध मिलाकर खाली पेट सेवन करें । ऐसा ७ दिन करें ।
यदि ऑक्सीजन की मात्रा कम हो तो, आरंभ में कार्बोवेज २०० की २ बूंदें हर २ घंटे में और बाद में २ बूंदें दिन में ३ बार लें । आरंभ में ऐस्पिडोस्पर्मा Q की १० बूंदें पाव कप पानी में हर २ घंटे में और बाद में दिन में १० बूंदें ३ बार लें । ये दोनों औषधियां लें ।
‘कोरोना विषाणु का जगभर संसर्ग होने से समस्या निर्माण हो गई है । इस विषाणु का संसर्ग टालने के लिए हमें बार-बार हाथ धोना, सोशल डिस्टन्सिंग (सामाजिक अंतर) जैसे नियम पालने चाहिए । ऐसा कहते हैं कि अपनी भारतीय परंपरा में अग्निहोत्र करने से वातावरण की शुद्धि होती है । इस विषाणु का संसर्ग अभी … Read more
‘पुदिना के फूल, अजवायन के फूल एवं भीमसेनी कपूर, तीनों को सम मात्रा में एकत्र करने पर कुछ समय पश्चात उसका तेल में रूपांतर होता है । इस तेल को ‘अमृतधारा तेल’ कहते हैं । यह तेल गठिया पर अत्यंत उपयुक्त है ।’
कालमेघ वनस्पति संक्रामक रोगों के लिए अत्यंत उपयुक्त है । यह बहुत ही कडवी होती है । इसका उपयोग ज्वर और कृमियों के लिए किया जाता है । यह सारक (पेट को साफ करनेवाली) होने से कुछ स्थानों पर वर्षा ऋतु में और उसके उपरांत आनेवाली शरद ऋतु में सप्ताह में एक बार इसका काढा पीने की प्रथा है । इससे शरीर स्वस्थ रहता है ।
पुणे के श्री. अरविंद जोशी नामक एक सद्गृहस्थ हैं जो विविध भारतीय उपचारपद्धतियों का अभ्यास करनेवाले हैं । उन्होंने अपनी शोध वृत्ति से इन फूलों का औषधीय गुणधर्म ढूंढा और अनेकों को उससे लाभ हुआ । उनके पास इसके अनेक उदाहरण हैं । उनका एक लेख पढकर मैंने भी कुछ रोगियों को ये फूल दिए, तो ध्यान में आया कि उन्हें भी बहुत लाभ हुआ है ।
प्रत्येक अभिभावक के मन में छोटे बच्चों की रोगप्रतिरोधक शक्ति बढाने के विषय में जिज्ञासा रहती है । रोगप्रतिरोधक शक्ति अच्छी रहने के लिए शरीर का बल और पाचनशक्ति उत्तम होना आवश्यक है ।