शरीर में कमजोरी का इलाज : आयुर्वेद के प्राथमिक उपचार
कई बार कुछ लोगों को बहुत थकान लगती है। शरीर में कमजोरी का इलाज करने हेतू आगे दिए क्रम से प्राथमिक उपचार करें ।
कई बार कुछ लोगों को बहुत थकान लगती है। शरीर में कमजोरी का इलाज करने हेतू आगे दिए क्रम से प्राथमिक उपचार करें ।
पेट में तीव्र वेदना एवं एक से अधिक उलटी हुई हों, तो पेट के गंभीर विकार होने की संभावना है। ऐसे रोगी को पानी पीना भी धोकादायक हो सकता है ।
अब जग में आयुर्वेद को भारी मात्रा में मान्यता मिल रही है, इसलिए अब भारतीयों को भी अपनी आंखें खोलकर देखने का समय आ गया है । उसके लिए अनेक रोगों पर उपयुक्त कुछ वनस्पतियां अथवा फलों का उपयोग यहां देखेंगे ।
समाप्ति तिथि एवं शार्ङ्गधर संहिता में दिए हीनवीर्यता के काल में बहुत अंतर है ।
दोपहर के भोजन के उपरांत तुरंत ही अथवा दोपहर के भोजन के डेढ घंटे में दी हुई औषधि का परिणाम हृदय पर, इसके साथ ही समस्त शरीर पर होता है
हृदरोग, दमा, खांसी पर पुष्कर मूल का चूर्ण शहद के साथ लें । बकुली के फूलों का हार पहनें, इसके साथ ही बकुली के छाल का काढा पीएं ।
गर्मियों के महीने में अपनी त्वचा की अच्छी देखभाल करने से गर्मियों में होनेवाली हानि टाल सकते हैं । इससे अपनी त्वचा को दीर्घकाल दागमुक्त एवं युवा रखने में सहायता होगी । इस विषय में कुछ सूचनाएं यहां दे रहे हैं ।
जांघ, कांख, नितंब (कुल्हे) इत्यादि भागों पर जहां पसीने से त्वचा गीली रहती है, वहां कई बार खुजली होने लगती है । फिर छोटी-छोटी फुंसियां आ जाती हैं जो गोलाकार में फैलती जाती हैं और उससे चकत्ते चकंदळे निर्माण होते हैं । इन चकत्तों के किनार उभरे, लालिमा एवं फुंसियों से युक्त और केवल मध्यभाग में सफेद एवं रूसीयुक्त दिखाई देते हैं ।
छींकें आने का कारण प्रत्येक बार कोरोना ही होता है’, ऐसा नहीं है । रात्रि की ठंडी हवा के कारण नाक बंद होना, यह भी एक प्राथमिक कारण हो सकता है । ठंडी हवा के कारण नाक की अस्थीविवरों से (सायनस से) प्रवाहित होनेवाला द्रव जमा हो जाता है ।
वर्षा में पौष्टिक आहार के रूप में दूध के स्थान पर सूखा मेवा, मूंगफली अथव चने खाएं । यह भोजन के उपरांत तुरंत ही अल्प मात्रा में खाएं । देसी घी, दही एवं मठ्ठा जैसे दुग्धजन्य पदार्थ भोजन करते समय भूख की मात्रा में सेवन करें ।’