प्राणशक्ति (चेतना) प्रणाली में अवरोध के कारण होनेवाले विकारों पर उपाय

आपातकाल का सामना करने की तैयारी के एक भाग के रूप में सनातन संस्था ने आपातकाल में संजीवनी समान प्रभावी ग्रंथमाला प्रकाशित की है । इस ग्रंथमाला से सीखी गईं उपचारपद्धतियां केवल आपातकाल की दृष्टि से नहीं, अपितु अन्य समय भी उपयोगी हैं । इस ग्रंथमाला के नूतन ग्रंथ, प्राणशक्ति (चेतना) प्रणाली में अवरोधसे उत्पन्न होनेवाले विकारों पर उपाय से परिचय करवा रहे हैं ।

गोपियुष : सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्‍वरप्रदत्त अनमोल देन !

गोपियुष अर्थात प्रसूती पश्‍चात ४८ से ७२ घंटों में गाय द्वारा प्राप्त प्रथम दूध । गोपियुष और माता द्वारा प्राप्त पियुष में वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत सी समानता पाई गई है । गोपियुष में रोगप्रतिकारक शक्ति और शरीर की सुदृढता के लिए आवश्यक ९० से अधिक पोषकतत्त्व हैं । गोपियुष सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्‍वरप्रदत्त अनमोल देन है ।

वर्षाकाल में ये सावधानी बरतें !

वर्षाकाल का प्रमुख लक्षण है, भूख मंद होना । भूख मंद होने पर भी पहले जैसा ही आहार लेने से वह अनेक रोगों को आमंत्रित करता है; क्योंकि मंद हुई भूख अथवा पाचनशक्ति अधिकतर विकारों का मूल कारण है ।

फेअरनेस क्रीम आरोग्य के लिए हानिकारक !

प्रत्येक व्यक्ति को लगता है हम गोरे दिखें । इसलिए वह कोई भी उपाय करने के लिए तैयार रहता है । इसके परिणामस्वरूप फेअरनेस क्रीम की भारी मात्रा में मांग है; परंतु त्वचा को गोरा बनानेवाली ये क्रीम व्यक्ति के आरोग्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं और अनेक रोगों के उत्पन्न होने की संभावना है ।

गीर की गायों के मूत्र में मिला सोना, संशोधकोंने कहा, गोमूत्र से हो सकता है कई बीमारियों का उपचार !

इस समाचार से गोमाता का कितना महत्व है यह ध्यान में आता है ! अब सरकारने गोरक्षा के लिए सक्त कानून बनाकर गोसंवर्धन करना चाहिए, ऐसी हिन्दुओंकी अपेक्षा है – सम्पादक मुंबई – गुजरात के गीर की गायों के मूत्र में सोना मिला है। चार वर्ष के संशोधन के बाद, जूनागढ कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों … Read more

चरकसंहिता में गोमांस निषिद्ध ही है !

वैज्ञानिक पी.एम. भार्गव द्वारा गोमांस के विषय में किए गए वक्तव्य का प्रतिवाद वैज्ञानिक (?) पी.एम. भार्गव द्वारा किया गया वक्तव्य कि आयुर्वेद के अनुसार गोमांस अनेक व्याधियों पर समाधान !, यह वक्तव्य अर्धसत्य है । चरकसंहिता में गोमांस के गुणधर्म बताए गए हैं । १. प्राचीन समय में आयुर्वेद का अध्ययन करने से पूर्व … Read more

मुद्रा

मानवकी प्रत्येक क्रियासे उसके शरीर अथवा अवयवोंसे कोई-न-कोई आकार बनता है । उसी कार, हाथकी उंगलियोंका परस्पर स्पर्श होनेपर अथवा उन्हें विशेष प्रकारसे जोडनेपर अलग-अलग  प्रकारकी आकृतियां बनती हैं, इन आकृतियोंको मुद्रा कहते हैं ।