आपातकाल की तैयारी स्वरूप वर्षा ऋतु में प्राकृतिक रूप से उगी हुई औषधीय वनस्पतियां संग्रहित करें ! (भाग २)
लेख के इस भाग में हम गरखा और छकुंड (चक्रमर्द) इन २ वनस्पतियों की जानकारी समझते हैं ।
लेख के इस भाग में हम गरखा और छकुंड (चक्रमर्द) इन २ वनस्पतियों की जानकारी समझते हैं ।
भावी भीषण विश्वयुद्ध के काल में डॉक्टर, वैद्य, बाजार में औषधियां आदि उपलब्ध नहीं होंगी । ऐसे समय हमें आयुर्वेद का ही आधार रहेगा । क्रमशः प्रकाशित होनेवाले लेख के इस भाग में ‘प्राकृतिक वनस्पतियों का संग्रह कैसे करना चाहिए’, इससे संबंधित जानकारी
एंटीबायोटिक अथवा प्रतिजैविक का अर्थ है, बैक्टीरिया (जीवाणु) मारनेवाली अथवा उसे कमजोर करनेवाली औषध ।
दैनिक काम करते समय अथवा कहीं बाहर जाते समय हमें अनेक प्रकार के भार उठाने पडते हैं । उन्हें उठाने में हमारे शरीर पर जाने-अनजाने तनाव आता है । अयोग्य पद्धति से भार उठाने से शरीर की हानि हो सकती है ।
नियमित रूप से प्राणायाम, व्यायाम और योगासन कर शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाएं और आपातकाल का सामना करने के लिए अपने शरीर और मन की तैयारी करें !
अपने शरीर के किसी पीडित अंग, स्नायु तथा हड्डियों को पूर्ववत करने के व्यायाम और फीजियोथेरेपी ये दो भिन्न पद्धति हैं ।
धूम का अर्थ धुआं और पान का अर्थ पीना ! औषधीय धुआं नाक-मुंह से अंदर लेकर उसे बाहर छोडने को धूमपान कहते हैं ।
एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल सिद्धांत है । आयुर्वेद के अनुसार निश्चित समय पर भोजन करने से पाचनक्रिया ठीक रहती है । इस लेख में, आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का उचित समय बताया गया है ।
मूलतः दूध अच्छा है; इसलिए दूधजन्य पदार्थ भी खाने में अच्छे होते हैं, ऐसा कुछ नहीं है । दूध और उससे बननेवाले सभी पदार्थों के गुणधर्म एक जैसे नहीं होते ।
सर्दियों में सामान्यरूप से अधिकांश लोगों को सरदी-खांसी होती है । उसके लिए यहां लक्षणों के आधारपर उपयुक्त होमियोपैथी और बाराक्षार औषधियों की सूची दे रहे हैं ।