आमलकी (आंवला/आवळा) चूर्ण
आंवला चूर्ण का गुणधर्म शीतल है तथा यह वात, पित्त एवं कफ का संतुलन बनाती है ।
आंवला चूर्ण का गुणधर्म शीतल है तथा यह वात, पित्त एवं कफ का संतुलन बनाती है ।
ज्येष्ठमध चूर्ण का गुणधर्म शीतल तथा नेत्र, त्वचा, केश एवं गले के लिए हितकारी है ।
आज यह बात सभी के ध्यान में आ चुकी है कि किसी न किसी प्रकार से हमें भी संक्रमण हो सकता है । वह न हो; इसका ध्यान लेने के दिन बीत गए । अब सभी को इसी तत्त्व का पालन करना होगा कि हमें भी संक्रमण हो सकता है; परंतु उसके लिए हमारा स्वास्थ्य सामान्य स्थिति में आने की गति (रिकवरी रेट) अच्छी होनी चाहिए ।
‘आंवला पृथ्वी पर अमृत है ! आंवला शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कष्ट दूर करने के लिए उपयुक्त है; इसलिए आयुर्वेद में इसे ‘औषधियों का राजा’ कहते हैं । ‘आमला एकादशी’ पर श्रीविष्णु को आंवला अर्पण करते हैं ।
जिनमें कोरोना रोग के लक्षण पाए गए हैं एवं जो न्यूमोनिया या थकान आदि के लक्षणों के कारण अस्पताल में भरती हैं, ऐसों के लिए सुवर्ण मालिनी वसंत की २० गोलियां खरीद लें ।
अनेक लोगों को पेट साफ न होने की समस्या होती है । इस समस्या के कारण अनेक शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं । अनेक लोग प्रतिदिन पेट साफ होने के लिए औषधि लेते हैं । इनमें से अनेक औषधियों के कारण अंतडियों में सूखापन उत्पन्न होता है । इससे पेट साफ न होने की समस्या बढ जाती है ।78260
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । अर्थात, धर्माचरण के लिए (साधना करने के लिए) शरीर का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है ।
कंधों की वेदना की तीव्रता ६० प्रतिशत से अधिक होने पर चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए । वेदना की तीव्रता ६० प्रतिशत से अल्प हो, तो स्नायु शक्तिशाली बनाने के लिए आगे दिए गए व्यायाम चरण दर चरण करने चाहिए ।