अनिद्रानाश (Insomnia) पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

निरामय स्वास्थ्य के लिए प्रौढ व्यक्तियों को लगभग ७-८ घंटे की नींद आवश्यक होती है । ‘नींद बिलकुल न लगना, अपेक्षित और आवश्यक घंटे नींद न लगना, नींद से रात में जाग जाना और पुन: नींद न लगना, सवेरे बेसमय पर जाग जाना’, इन सभी लक्षणों को  ‘अनिद्रा’, कहते हैं ।

भूख न लगना (Loss of Appetite) इस रोग पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

२ सप्ताह से अधिक समय तक भूख मंद होगी, तो उपचार करना आवश्यक होता है । भूख मंद होना अथवा न लगना, इन लक्षणों के अतिरिक्त कोई भी विशेष लक्षण हों, तो वह औषधि लें, यह औषधि के नाम के सामने दिया है ।

पाठदुखी (Backache) इस बीमारी पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

पीठ में मंद से तीव्र वेदना होना, इसे पीठदर्द कहते हैं । कई बार इस पीठदर्द के लक्षण के अतिरिक्‍त कोई अन्य विशेष लक्षण हो, तो वह औषधि लें । ये लक्षण, उन औषधियों के नाम के आगे दिए हैं ।

अतिसार/जुलाब (Diarrhoea) इस रोग पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

अतिसार, यह दूषित एवं अस्वच्छ अन्न और पानी ग्रहण करने से होनेवाला रोग है । तीव्र अतिसार सामान्यरूप से विषाणु (virus), जिवाणु (bacteria) और परजीवी (parasites) के कारण होता है । अतिसार के कारण दूषित हुए पानी के संपर्क में आने से फैलता है ।

कीटक अथवा प्राणी के दंश करने (काटने) पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

कीटक अथवा प्राणी के काटने पर अथवा दंश करने पर ‘संबंधित भाग पर सूजन आना, वहां की त्वचा लाल होना अथवा वहां फुंसी उठना, वेदना होना, खुजली होना, उस भाग में उष्णता प्रतीत होना, सुन्न होना अथवा चींटियांसी आईं समान लगना, ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं ।

सर्दी, खांसी एवं होमियोपैथी औषधि

सर्दी, यह नाक एवं गले का सर्वसामान्य रोग है । सर्दी में नाक बहना, छींकें आना, नाक बंद होना, आंखों से पानी बहना, गले में खिचखिच और कभी-कभार बुखार आना, ये लक्षण सामान्यतः पाए जाते हैं । इन लक्षणों के अतिरिक्त अन्य कोई विशेष लक्षण हों, तो औषधि लें, इन औषधियों के नाम आगे दिए हैं ।

आंखों के रोग और उन पर होमियोपैथी की और बाराक्षार औषधि

  अनुक्रमणिका१. आंखों की देखभाल कैसे करें ?२. आंखों के लिए किए जानेवाले विशिष्ट व्यायाम बिस्तर पर लेटे-लेटे अथवा बैठकर या खडे होकर ये व्यायाम कर सकते हैं ।३. आंखों की बीमारी और उस पर होमियोपैथी की औषधियां३ अ. रूटा ३० अथवा २००३ आ. ॲकोनाइट ३०३ इ. अर्निका ३०३ ई. बेलाडोना ३०३ उ. आर्सेनिक आल्ब … Read more

आम्लपित्त (Acidity) इस बीमारी पर होमिओपैथी औषधियों की जानकारी

पेट में आम्ल की (acid की) मात्रा अधिक होने से आम्लपित्त का कष्ट होता है । मुंह में खट्टा स्वाद आना, छाती में जलन, ग्रहण किया अन्न अथवा खट्टा पानी पेट से पुन: मुंह में आना, निगलने में कष्ट होना, अपचन होना, पेट के ऊपर के भाग में वेदना इत्यादि आम्लपित्त के लक्षण हैं ।

बद्धकोष्ठता (Constipation) इस बीमारी पर होमियोपैथी औषधि

सप्ताह में ३ से कम बार शौच होना, शौच शुष्क एवं कडक होना, शौच करने में कठिनाई होना, शौच करते समय वेदना होना, इसके साथ ही शौच अपूर्ण होने का भान होना, इसे ‘बद्धकोष्ठता’ कहते हैं । अयोग्य आहार की आदत, यह बद्धकोष्ठता का प्रमुख कारण हैं ।

उलटी (Vomiting) पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

पेट में अन्न अपनेआप, जोर से मुख के रास्ते बाहर गिरना, इसे ‘उलटी होना’, कहते हैं । सामान्यतः पेट की क्षमता से अधिक अन्न ग्रहण करना, दूषित अन्न ग्रहण करना इत्यादि कारणों से उलटी होती है । उलटी शरीर के पेट के कष्टदायक घटक बाहर फेंक देने की प्राकृतिक प्रक्रिया है ।