दिन में ४ – ४ बार खाना टालें !

जो शारीरिक श्रम करते हैं, यदि वे ३ बार आहार लें, तो ठीक है; परंतु जो बैठकर काम करते हैं, उन्हें केवल २ बार भोजन करना चाहिए । इससे अधिक खाने पर वह स्वास्थ्य के बिगडने का कारण बन जाता है ।’

क्या तडका दिए पोहों से पित्त होता है ?

‘तडका देकर बनाए पोहे, यह अल्पाहार में अधिक खाया जानेवाला पदार्थ है । कुछ लोगों को तडका देकर बनाए पोहे खाने से गले एवं छाती में जलन एवं मितली आने जैसे कष्ट होते हैं ।

वर्षा ऋतु में सर्दी, खांसी, ज्वर एवं कोरोना में उपयुक्त घरेलु औषधियां

औषधि अपने मन से न लेते हुए वैद्यों के मार्गदर्शनानुसार ही लेनी चाहिए; परंतु कई बार वैद्यों के पास तुरंत ही जाने की स्थिति नहीं रहती । कई बार थोडी-बहुत औषधि लेने पर वैद्यों के पास जाने की आवश्यकता ही नहीं पडती । इसलिए ‘प्राथमिक उपचार’ के रूप में यहां कुछ आयुर्वेद की औषधियां दी हैं ।

चिकनगुनिया : लक्षण एवं उपचार !

‘चिकनगुनिया’ इस व्याधि का स्वरूप भले ही भयंकर है, तब भी यह प्राणघातक व्याधि नहीं है । वह ठीक हो जाती है और जोडों में वेदना भी ठीक हो सकती है । केवल योग्य समय पर वैद्य के पास जाना ओर उनसे पर्याप्त समय तक उपचार लेने की आवश्यकता है ।’

खुलकर बात करना एक महान औषधि है !

पूर्वाग्रह, राग, भय के समान मूलभूत स्वभावदोषों के कारण अधिकांश लोगों के लिए खुलकर बात करना असहज रहता है । कुछ लोगों के मन में अनेक वर्षाें के प्रसंग तथा उस संबंधी भावनाएं रहती हैं । यदि मन में किसी भी प्रकार के विचार संगठित हुए, तो उसका परिणाम देह पर होता है तथा विभिन्न शारीरिक कष्ट आरंभ होते हैं ।

आयुर्वेद : रोगों का मूल एवं उस पर दैवीय चिकित्सा

कोई भी रोग, यह शरीर के वात, पित्त एवं कफ की मात्रा में परिवर्तन होने से होता है । आयुर्वेद के अनुसार कर्करोग से हृदयरोग तक एवं पक्षाघात से लेकर मधुमेह तक सर्व रोगों का मूल यही है । शरीर के त्रिदोषों में से किसी भी दोष की मात्रा बढने अथवा अल्प होने अथवा उनके गुणों में परिवर्तन होने से वे दूषित हो जाते हैं । फिर यही कण शरीर में रोग उत्पन्न करते हैं ।

आम्लपित्त : आजकल की बडी समस्या एवं उस पर उपाय !

आम्लपित्त के कष्ट के पीछे के कारणों का तज्ञों की सहायता से शोध लेकर उनपर कायमस्वरूपी उपचार करना अत्यावश्यक है । इसके लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने की तैयारी होनी चाहिए ।

खाद्यपदार्थाें के संदर्भ में विवेक जागृत रखें !

पोषणमूल्यहीन, चिपचिपे, तेल से भरे तथा ‘प्रिजर्वेटिव पदार्थाें का उपयोग किए गए तथा स्वास्थ बिगाडनेवाले पदार्थ खाने की अपेक्षा पौष्टिक, सात्त्विक तथा प्राकृतिक पदार्थ खाने चाहिए । चॉकलेट आदि पदार्थ कभी कभी खाना ठीक है; किंतु नियमित सेवन न करें ।’

कोष्ठबद्धता

‘कोष्ठबद्धताके लिए गंधर्व हरितकी वटी’ औषधि की २ से ४ गोलियां रात सोने से पूर्व गुनगुने पानी के साथ लें ।