धूमपान : श्वसनतंत्र के विकारों पर प्रतिबंधजन्य आयुर्वेदीय चिकित्सा !
धूम का अर्थ धुआं और पान का अर्थ पीना ! औषधीय धुआं नाक-मुंह से अंदर लेकर उसे बाहर छोडने को धूमपान कहते हैं ।
धूम का अर्थ धुआं और पान का अर्थ पीना ! औषधीय धुआं नाक-मुंह से अंदर लेकर उसे बाहर छोडने को धूमपान कहते हैं ।
एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल सिद्धांत है । आयुर्वेद के अनुसार निश्चित समय पर भोजन करने से पाचनक्रिया ठीक रहती है । इस लेख में, आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का उचित समय बताया गया है ।
मूलतः दूध अच्छा है; इसलिए दूधजन्य पदार्थ भी खाने में अच्छे होते हैं, ऐसा कुछ नहीं है । दूध और उससे बननेवाले सभी पदार्थों के गुणधर्म एक जैसे नहीं होते ।
भोजन में रूचि उत्पन्न करनेवाले पदार्थों में लहसुन का स्थान महत्त्वपूर्ण है । पदार्थ के पाचन हेतु लहसुन का उपयोग किया जाता है ।
बैंगन बहुत पौष्टिक है । बाजार में मिलनेवाले बडे बैंगन तथा देशी बैंगन के औषधीय उपयोग भिन्न हैं ।
लौकी एक उपयुक्त सब्जी है । लौकी का रस का सेवन कर वजन कम करें’, यह सुनकर आजकल वजन कम करने के लिए लोग ऐसा कर रहे हैं; परंतु सभी को वैसा करना योग्य नहीं ।
टमाटर भोजन का एक अभिन्न पदार्थ है । उससे हमारे शरीर का आवश्यक पोषक घटक भी मिलते हैं ।
शरीर में प्रवेशित माखन प्रतिदिन नई और तरुण धातुओं की उत्पत्ति कर शरीर की सुंदरता बढाता है; इसलिए उसे नवनीत कहा जाता है ।
शरीर में पित्त का विस्फोट होकर बुखार आता हो, तो उसके लिए सीताफल खाएं; परंतु उसे सुबह के समय न खाएं ।
‘सर्दियों में ऋतु के अनुसार ठंड और सूखापन बढता है और उनका उचित प्रतिकार न करने से विविध विकार होते हैं । इनमें से अधिकांश विकारोंपर तेल का उचित उपयोग करना और सेंकना, इन चिकित्साओं का प्रभावशाली नियंत्रण किया जा सकता है ।