वराहज्वर (स्वाइन फ्लू) और आयुर्वेदीय चिकित्सा
वराहज्वर के लक्षण सर्वसामान्य बुखार की भांति ही होते हैं ।
एक्जिमा जैसे त्वचारोगों (फंगल इन्फेक्शन) का सरल उपचार
ऊसंधि (जांघ और पेट के मध्य का भाग), कांख, जांघ और कूल्हों पर जहां पसीने के कारण त्वचा नम रहती है, वहां कभी-कभी खुजली और छोटी-छोटी फुंसियां होती हैं । उनके फैलने से गोल ददोडे (रिंग वर्म) निर्माण होते हैं । इन ददोडों पर आगे दिए दोनों उपचार करें ।
गोपियुष : सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्वरप्रदत्त अनमोल देन !
गोपियुष अर्थात प्रसूती पश्चात ४८ से ७२ घंटों में गाय द्वारा प्राप्त प्रथम दूध । गोपियुष और माता द्वारा प्राप्त पियुष में वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत सी समानता पाई गई है । गोपियुष में रोगप्रतिकारक शक्ति और शरीर की सुदृढता के लिए आवश्यक ९० से अधिक पोषकतत्त्व हैं । गोपियुष सुदृढ मानवीय शरीर हेतु ईश्वरप्रदत्त अनमोल देन है ।