घर में उपलब्ध बीजों से हरे शाक-तरकारी का रोपण आरंभ करें !
घर के घर ही में शाक-तरकारी के लिए लगनेवाली सामग्री के विषय में समझ लिया ।
घर के घर ही में शाक-तरकारी के लिए लगनेवाली सामग्री के विषय में समझ लिया ।
सामान्य चाय के दुष्परिणाम होने से अनेक लोगों को ‘चाय पीना बंद करना चाहिए’, ऐसा लगता है; परंतु ‘चाय का कोई अन्य विकल्प होना चाहिए’, ऐसा भी लगता है । ऐसे लोगों के लिए घर की खेती के अंतर्गत फूल-पत्तियों से बनाई जानेवाली चाय के ये विकल्प उपलब्ध हैं ।
घर के घर ही में प्राकृतिक पद्धति से हरे शाक-तरकारी का रोपण कर न्यूनतम (कम से कम) अपने कुटुंब के लिए तो विषमुक्त अन्न उगाना हमारे लिए सहज संभव है । तो चलिए ! सनातन के घर-घर रोपण अभियान में सहभागी होकर विषमुक्त अन्न का संकल्प करेंगे !
उसे रुग्णालय में दाखिल करना पडा । तब आचार्य देवव्रत ने विषैली खेती के पर्याय के रूप में प्राकृतिक खेती कर देखना निश्चित किया ।
‘कोकोपीट’का उपयोग, हाट से सेंद्रिय खाद खरीदकर लाना एवं पौधों को डालना, कंपोस्ट खाद बनाना, ये बातें सेंद्रिय खेती में आती हैं; प्राकृतिक खेती में नहीं ।
‘पौधों की बढत के लिए आवश्यक खनिज द्रव्य मिट्टी में होते हैं; परंतु पौधों की जडें द्रव्य सीधे ग्रहण नहीं कर सकतीं । मिट्टी के खनिज द्रव्य पौधों द्वारा अवशोषित होने के लिए पौधों के लिए उपयुक्त सूक्ष्म जीवाणुओं की आवश्यकता होती है ।
भीषण आपातकाल की तैयारी के लिए प्रत्येक जन अपने घर के समीप हरे शाक एवं औषधीय वनस्पतियों की प्राकृतिक पद्धति से बागवानी करे ।
‘केवल पानी देने का समय हो गया; इसलिए पेड-पौधों को प्रतिदिन पानी डाल दिया, ऐसा न करते हुए पेड-पौधों एवं मिट्टी का निरीक्षण कर आवश्यकता होने पर ही पानी दें ।
अनेक बार सभी को, विशेषरूप से नए बागकर्मियों को कुछ प्रश्न हमेशा होते हैं कि किन भाजी-तरकारियों को कितनी धूप लगती है ? तरकारी को बोने से लेकर उसे काटने तक, इस संपूर्ण जीवनचक्र में उसे धूप की कितनी आवश्यकता होती है एवं हमारे पास जो उपलब्ध धूप है, फिर वह सीधे धूप हो अथवा सूर्यप्रकाश, हम कौन-कौनसी शाक-तरकारी लगा सकते हैं ?’ इन प्रश्नों के उत्तर इस लेख में हैं ।