‘तीव्र आपातकाल में केवल साधना ही मनुष्य को बचा सकेगी’, इस विषय में परात्पर गुरु डॉक्टर आठवले द्वारा समय-समय पर किया महत्त्वपूर्ण मार्गदर्शन !

परात्पर गुरु डॉ. आठवले ने आपातकाल में जीवनावश्यक वस्तएं एवं औषधियों के बिना दयनीय अवस्था न हो, इसलिए स्थूल से पूर्वतैयारी करने के विषय में जागृति की । इसके साथ ही आपातकाल का सामना करने के लिए साधकों की आध्यात्मिक स्तर पर तैयारी भी करवा ले रहे हैं । अब कोरोना महामारी के काल में ही बाह्य परिस्थिति इतनी प्रतिकूल हो गई है, तो भावी भीषण आपातकाल में क्या स्थिति होगी ?

कोष्ठबद्धता

‘कोष्ठबद्धताके लिए गंधर्व हरितकी वटी’ औषधि की २ से ४ गोलियां रात सोने से पूर्व गुनगुने पानी के साथ लें ।

बाबा वंगा की भविष्यवाणी : सायबेरिया में प्राणघातक विषाणु की खोज होगी !

अन्य एक भविष्यवाणी में उन्होंने कहा था, वर्ष २०२२ में ‘ओमुआमुआ’ नामक एक लघुग्रह परग्रहवासियों द्वारा (‘एलियन्स’द्वारा) पृथ्वी ग्रह पर जीवन की खोज के लिए भेजा जाएगा । तदुपरांत ये ‘एलियन्स’ पृथ्वी के लोगों पर आक्रमण कर सकते हैं ।

आयुर्वेद : कौन से रोगों पर कौनसे आसन उपयुक्त ?

‘बुढापे में जोडों में वेदना, कमर में वेदना, पीठ में वेदना इत्यादि बीमारियां होने पर आधुनिक वैद्य (डॉक्टर) व्यायाम, योगासन इत्यादि करने के लिए कहते हैं । यहां ध्यान देनेवाली महत्त्वपूर्ण बात यह है कि बीमारी होने पर व्यायाम करने की अपेक्षा बीमारी हो ही नहीं; इसलिए व्यायाम करना अधिक लाभदायक होता है ।’

न्यास क्या है ?

मुद्रा द्वारा ग्रहण होनेवाली सकारात्मक (पॉजिटिव) शक्ति संपूर्ण शरीरभर में फैलती है, जबकि न्यास द्वारा वह सकारात्मक शक्ति  शरीर में विशिष्ट स्थान पर प्रक्षेपित कर सकते हैं ।

किसानो, साधना मानकर खेती करें एवं समृद्ध हों !

इसलिए सनातन संस्था की सीख है कि किसानों की आत्महत्या की समस्या पर कर्जमाफी जैसे ऊपरी-ऊपर उपाय करने के स्थान पर प्रत्येक किसान को ईश्वरप्राप्ति के लिए साधना करना सिखानी चाहिए ।

अनेक विकारों पर औषधि : पान का बीडा

भारतीय संस्कृति में अनमोल ‘पान’, अर्थात खाने का ‘पान’ अर्थात बीडा । आयुर्वेदानुसार एवं व्यवहारानुसार इसके गुण-दोष हम देखेंगे ।

महर्षि द्वारा सप्तर्षि जीवनाडीपट्टी से आपातकाल एवं तीसरे महायुद्ध के विषय में साधकों को जागृत करना

गत कुछ वर्षाें से भारतभूमि के संत-महात्मा, सिद्धपुरुष, ज्योतिष्यशास्त्र के जानकार, नाडीपट्टीवाचक एवं कुछ द्रष्टाओं ने ‘वर्ष २०२० से वर्ष २०२५, यह काल कितना भयावह होनेवाला है’, इसके संकेत दिए हैं ।

नैसर्गिक आपत्तियों में संगठितरूप से आपत्कालीन सहायता कैसे करें ?

    अनुक्रमणिका१. आपत्तियों का सखोल अध्ययन करना आवश्यक१ अ. आपत्कालीन घटना का स्वरूप और व्याप्ति समझकर लेना१ आ. आपत्कालीन सहायताकार्य करने के विषय में प्राधान्यक्रम निश्चित करना१ इ. पूर्वतैयारी के लिए घटनास्थल की भौगोलिक स्थिति का अंदाज लेना२. आपत्कालीन सहायता करने की पद्धति३. सहायताकार्य करनेवाले स्वयंसेवकों में आवश्यक गुण और कौशल४. आपत्कालीन सहायताकार्य के … Read more