ईश्‍वरीय चैतन्य से सर्व देह चैतन्यमय बनाने के लिए पू. राजेंद्र शिंदेजी ने दी एक अभिनव उपचारपद्धति !

१. मानस सर्व देहशुद्धि का अभिप्रेत अर्थ यहां सर्व देहशुद्धि, अर्थात स्थूलदेहसहित मनोदेह (मन), कारणदेह (बुद्धि) और महाकारणदेह (अहं) इन सूक्ष्मदेहों की शुद्धि । २. मानस सर्व देहशुद्धि का अध्यात्मशास्त्रीय आधार २ अ. संतों के संकल्प से लाभ ! यह मानस सर्व देहशुद्धि साधना-पद्धति सनातन के छठे संत पू. राजेंद्र शिंदेजी ने बताई है । … Read more

मुद्रा

मानवकी प्रत्येक क्रियासे उसके शरीर अथवा अवयवोंसे कोई-न-कोई आकार बनता है । उसी कार, हाथकी उंगलियोंका परस्पर स्पर्श होनेपर अथवा उन्हें विशेष प्रकारसे जोडनेपर अलग-अलग  प्रकारकी आकृतियां बनती हैं, इन आकृतियोंको मुद्रा कहते हैं ।

न्यास

हाथकी उंगलियोंसे विशिष्ट मुद्रा बनाकर उसे शरीरके कुण्डलिनीचक्रों अथवा अन्य किसी भागके पास रखनेकी क्रियाको न्यास कहते
हैं । यह न्यास शरीरसे १ – २ सें.मी. दूरसे करें ।