विश्वविख्यात भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस तथा संताे के द्वारा बताया गया भविष्य
फ्रान्स के सोलहवे शतक के (वर्ष १५०३-१५६६) महान भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस द्वारा किए गए अनेक भविष्यं आज वैज्ञानिकों के लिए रहस्य हुए हैं ।
फ्रान्स के सोलहवे शतक के (वर्ष १५०३-१५६६) महान भविष्यवेत्ता नास्त्रेदमस द्वारा किए गए अनेक भविष्यं आज वैज्ञानिकों के लिए रहस्य हुए हैं ।
त्रिकालज्ञानी संतों ने बताया ही है कि भीषण आपातकाल आनेवाला है तथा उसमें संपूर्ण विश्व की प्रचंड जनसंख्या नष्ट होनेवाली है । वास्तव में आपातकाल आरंभ हो चुका है । आपातकाल में तीसरा महायुद्ध भडक उठेगा । अणुबम जैसे प्रभावी संहारक के विकिरण को रोकने के लिए सूक्ष्मदृष्टि से कुछ करना आवश्यक है । इसलिए ऋषि-मुनियों ने यज्ञ के प्रथमावतार रूपी अग्निहोत्र का उपाय बताया है ।
६ माह एलोपैथी की औषधियां लेकर भी अपचन दूर न होना पिछले १ वर्ष से मुझे अपचन की समस्या है । इस कारण पेट में वायु (गैस) होना, बहुत भूख लगना, अनावश्यक खाना, इस प्रकार के कष्ट होने लगे ।
‘ग्रीष्मकाल में पसीना बहुत होता है । इससे, त्वचा पर स्थित पसीने की ग्रंथियों के साथ तेल की ग्रंथियां अधिक काम करने लगती हैं, जिससे त्वचा चिपचिपी होती है ।
अप्रैल २०१४ में सद्गुरु राजेंद्र शिंदेजी ने मुझे नमक पानी के उपचार करने को कहा । उन्होंने कहा, रात में सोते समय जीभ के पिछले भाग में जहां गले में खिचखिच होती है, वहां १ चुटकीभर नमक रगडकर ५ मिनट रुककर उसे थूक डालें ।
सेब मूलतः भारतीय फल है ही नहीं । अंग्रेज उसे अपने साथ लाए थे । वास्तव में इस फल में ऐसे कोई भी विशेष औषधीय गुणधर्म नहीं हैैं, जो भारतीय फलों में पाए जाते हैं ।
ऊसंधि (जांघ और पेट के मध्य का भाग), कांख, जांघ और कूल्हों पर जहां पसीने के कारण त्वचा नम रहती है, वहां कभी-कभी खुजली और छोटी-छोटी फुंसियां होती हैं । उनके फैलने से गोल ददोडे (रिंग वर्म) निर्माण होते हैं । इन ददोडों पर आगे दिए दोनों उपचार करें ।
आज अग्नि दैनिक जीवन-व्यापार का अत्यावश्यक घटक है, तब भी उसके संदर्भ में नियंत्रित तथा अनियंत्रित स्वरूप की जो लक्ष्मणरेखा होती है, वह अधिक महत्त्वपूर्ण है । मनुष्य द्वारा सामान्यत: प्रयुक्त आग के सर्व प्रकार नियंत्रित होते हैं; किंतु किसी विशेष प्रसंग में आग नियंत्रण की सीमारेखा लांघ सकती है ।
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए तैयार किए जा रहे डाटा बेस के तहत पहली बार विज्ञानियों ने बदरी तुलसी पर परीक्षण किया।
निरोगी शरीर के लिए साबुन न लगाना ही श्रेयस्कर है । साबुन के स्थान पर पिसी हुई चना दाल अथवा मसूर दाल अथवा बमीठे अथवा अच्छे स्थान की छनी मिट्टी का उपयोग करना, अच्छा और सस्ता है ।