यज्ञ का प्रथमावतार ‘अग्निहोत्र’के विषय में वैज्ञानिक शोध !

विज्ञान के माध्यम से अग्निहोत्र का वातावरणपर क्या परिणाम होता है ?, इसके अध्ययन हेतु महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण हेतु यू.टी.एस्. (युनिवर्सल थर्मो स्कैन) उपकरण का उपयोग किया गया ।

वसंत ऋतु के आरोग्यसूत्र

सृष्टिरचना के समय साक्षात ईश्वर ने ही आयुर्वेद का निर्माण किया; इसलिए आयुर्वेद के सिद्धांत विश्व के आरंभ से आजतक अबाधित हैं । युगों-युगों से प्रतिवर्ष वही ऋतु आते हैं और आयुर्वेद द्वारा बताई गई ऋतुचर्या भी वही है ।

भावी भीषण आपातकाल का सामना करने हेतु विविध स्तरों पर अभी से प्रयास आरंभ करें !

घोर आपातकाल का आरंभ होने में अब कुछ महीने ही बचे हैं । अनेक नाडीभविष्य बताने वालों ने तथा द्रष्टा साधु-संतों ने वर्ष २०१९ के पश्चात धीरे-धीरे तीसरे महायुद्ध का आरंभ होने की बात कही है ।

शीतकालीन ऋतुचर्या

शीतकाल ऋतु में जठराग्नि अच्छा होने से किसी भी प्रकार के अन्न का सरलता से पाचन होता है । उसके कारण इस ऋतु में खाने-पीने में बहुत बडा बंधन नहीं होता ।

बक्सों से प्रत्यक्ष उपचार करने की विविध पद्धतियां

बक्सों से उपचार करते समय आगे दी जिन उपचार-पद्धतियों से शरीर के कुंडलिनीचक्र, विकारग्रस्त अवयव अथवा नवद्वारों पर उपचार करने के लिए बताया हो, वहां इन तीन स्थानों में से प्रधानता से कुंडलिनीचक्रों पर बक्सों से उपचार करें ।

बक्सों से प्रत्यक्ष सोते समय उपचार करने की विविध पद्धतियां

रात में अनिष्ट शक्तियां अधिक कष्ट देती हैं । इसलिए विकारग्रस्त व्यक्ति के लिए दिन के साथ-साथ रात में सोते समय भी बक्सों से उपचार करना आवश्यक होता है । विकाररहित व्यक्ति भी रात में सोते समय अपने लिए सुरक्षा-कवच बनाने हेतु बक्सों का उपयोग करेंगे, तो अच्छा रहेगा ।

‘घरेलु औषधि’ सेवन की पद्धतियां !

विशेषज्ञ वैद्य ही ऐसी चिकित्सा कर सकते हैं । विशेषज्ञ वैद्य के अभाव में न्यूनतम रोगी को आराम मिले, इसके लिए परंपरागत घरैलु औषधियों की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध की गई है ।

शारदीय ऋतुचर्या : शरद ऋतु में स्वस्थ्य रहने हेतु आयुर्वेदीय चिकित्सा !

वर्षाऋतु समाप्त होते-होते सूर्य की प्रखर किरणें धरती पर पडने लगती हैं । तब शरद ऋतु का आरंभ होता है ।