आपातकालीन परिस्थिति का सामना करने के लिए की जानेवाली तैयारी
भारत में आनेवाले आपातकाल का सामना करने के लिए प्रशासन पर निर्भर न रहते हुए नागरिकों को अपने स्तर पर तैयारी करनी चाहिए ।
भारत में आनेवाले आपातकाल का सामना करने के लिए प्रशासन पर निर्भर न रहते हुए नागरिकों को अपने स्तर पर तैयारी करनी चाहिए ।
एक आहार पचने के बाद ही दूसरा आहार करना चाहिए, यह भोजन का सबसे सरल सिद्धांत है । आयुर्वेद के अनुसार निश्चित समय पर भोजन करने से पाचनक्रिया ठीक रहती है । इस लेख में, आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने का उचित समय बताया गया है ।
‘आजकल भारत के साथ अन्य कुछ देशों में भी संक्रमणकारी विषाणु ‘कोरोना’का प्रकोप हुआ है । इसके कारण सर्वत्र का जनजीवन अस्तव्यस्त होकर सर्वसामान्य नागरिकों में भय का वातावरण है ।
मूलतः दूध अच्छा है; इसलिए दूधजन्य पदार्थ भी खाने में अच्छे होते हैं, ऐसा कुछ नहीं है । दूध और उससे बननेवाले सभी पदार्थों के गुणधर्म एक जैसे नहीं होते ।
सर्दियों में सामान्यरूप से अधिकांश लोगों को सरदी-खांसी होती है । उसके लिए यहां लक्षणों के आधारपर उपयुक्त होमियोपैथी और बाराक्षार औषधियों की सूची दे रहे हैं ।
मदार के वृक्ष में आनेवाले फल से रेशम समान कोमल रुई मिलती है । कहते हैं कि ‘मदार की कपास सावरी के (एक प्रकार वृक्ष) कपास से भी ठंडी होती है ।’
पुणे के डॉ. प्रमोद मोघे पुणे के नैशनल केमिकल लेबॉरेटरी संस्था के निवृत्त ज्येष्ठ वैज्ञानिक हैं। उन्होंने अग्निहोत्र पर पुणे में प्रयोग किए ।
भोजन में रूचि उत्पन्न करनेवाले पदार्थों में लहसुन का स्थान महत्त्वपूर्ण है । पदार्थ के पाचन हेतु लहसुन का उपयोग किया जाता है ।
बैंगन बहुत पौष्टिक है । बाजार में मिलनेवाले बडे बैंगन तथा देशी बैंगन के औषधीय उपयोग भिन्न हैं ।
लौकी एक उपयुक्त सब्जी है । लौकी का रस का सेवन कर वजन कम करें’, यह सुनकर आजकल वजन कम करने के लिए लोग ऐसा कर रहे हैं; परंतु सभी को वैसा करना योग्य नहीं ।