हृदय एवं श्वसनसंस्था को बल देनेवाली आयुर्वेद की कुछ प्रसिद्ध औषधियां

श्वसनसंस्था और हृदय को बल देने के लिए इस औषधि का अच्छा उपयोग होता है । दम घुटने समान होना, बारंबार घबराहट होना, छाती तेजी से धडकना जैसे हृदय से संबंधित विशिष्ट लक्षणों में इस औषधि का उपयोग होता है ।

अधिक वर्षावाले प्रदेशों में निरोगी रहने के लिए दिनभर में केवल २ बार आहार लें !

वर्षा ऋतु में दिन में केवल २ बार आहार लेने की आदत डालने से एक बार लिया हुआ अन्न पूर्णरूप से पचने के पश्चात ही दूसरा अन्न जठर में आता है । इससे अन्नपचन ठीक होता है । शरीर को अतिरिक्त २ बार अन्न पचाने का श्रम नहीं होते । इसलिए बची हुई शक्ति अब बदले हुए वातावरण के अनुकूल बनने के लिए उपयोग में आती है ।

आम्लपित्त (Acidity) इस बीमारी पर होमिओपैथी औषधियों की जानकारी

पेट में आम्ल की (acid की) मात्रा अधिक होने से आम्लपित्त का कष्ट होता है । मुंह में खट्टा स्वाद आना, छाती में जलन, ग्रहण किया अन्न अथवा खट्टा पानी पेट से पुन: मुंह में आना, निगलने में कष्ट होना, अपचन होना, पेट के ऊपर के भाग में वेदना इत्यादि आम्लपित्त के लक्षण हैं ।

बद्धकोष्ठता (Constipation) इस बीमारी पर होमियोपैथी औषधि

सप्ताह में ३ से कम बार शौच होना, शौच शुष्क एवं कडक होना, शौच करने में कठिनाई होना, शौच करते समय वेदना होना, इसके साथ ही शौच अपूर्ण होने का भान होना, इसे ‘बद्धकोष्ठता’ कहते हैं । अयोग्य आहार की आदत, यह बद्धकोष्ठता का प्रमुख कारण हैं ।

उलटी (Vomiting) पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

पेट में अन्न अपनेआप, जोर से मुख के रास्ते बाहर गिरना, इसे ‘उलटी होना’, कहते हैं । सामान्यतः पेट की क्षमता से अधिक अन्न ग्रहण करना, दूषित अन्न ग्रहण करना इत्यादि कारणों से उलटी होती है । उलटी शरीर के पेट के कष्टदायक घटक बाहर फेंक देने की प्राकृतिक प्रक्रिया है ।

पेट में वेदना (Abdominal pain) इस बीमारी पर होमियोपैथी औषधियों की जानकारी

पेट में सौम्य से तीव्र वेदना विविध कारणों से हो सकती है । प्रत्येक कारण के अनुसार उसका विशिष्ट उपचार लेना आवश्यक होता है; परंतु पेटदर्द का निश्चित निदान होने तक हम आगे दिए अनुसार औषधोपचार आरंभ कर सकते हैं ।

होमियोपैथी ‘स्वउपचार’विषयी मार्गदर्शक सूत्र

अब हम देखेंगे ‘अपनी बीमारी पर अचूक गुणकारी औषधि ढूंढना, कुछ बीमारियों के विषय में आरंभ में लक्षणों की तीव्रता न्यून करनेवाली औषधि लेना क्यों आवश्यक होना, औषधि तैयार करने की पद्धति और औषधि का परिणाम कैसे पहचानें ?’, इत्यादि संबंधी जानकारी ।

वर्तमान के ‘ऑनलाईन’ काल में आंखों की उचित देखभाल के लिए आगे दी गईं बातें ध्यान में रखें !

आंखों की देखभाल के विविध उपाय एवं आंखें निरोगी रहने के लिए आदर्श दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ? इस विषय में समझ लेंगे ।

शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य की देखभाल ऐसे करें !

शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और सामाजिक स्वास्थ्य अर्थात सुखसंवेदना अनुभव करने की अवस्था अर्थात स्वास्थ्य ।

सर्दियों के विकारों पर सरल उपचार

‘सर्दियों में ठंडी एवं शुष्कता बढ जाती है । उनका योग्य प्रतिकार न करने से विविध विकार होते हैं । इनमें से बहुतांश विकार तेल का उचित उपयोग एवं गर्म सिकाई करने से नियंत्रण में आते हैं ।