कालमेघ वनस्पति और विकारों में उसके उपयोग

कालमेघ वनस्पति संक्रामक रोगों के लिए अत्यंत उपयुक्त है । यह बहुत ही कडवी होती है । इसका उपयोग ज्वर और कृमियों के लिए किया जाता है । यह सारक (पेट को साफ करनेवाली) होने से कुछ स्थानों पर वर्षा ऋतु में और उसके उपरांत आनेवाली शरद ऋतु में सप्ताह में एक बार इसका काढा पीने की प्रथा है । इससे शरीर स्वस्थ रहता है ।

बाबा वेंगा की वर्ष २०२२ के लिए भविष्यवाणी !

वैश्विक तापमान बढने का परिणाम भारत पर भी होने वाला है । इस कारण देश के अनेक भागोें का तापमान लगभग ५० अंश सेल्सियस के आसपास पहुंचेगा ।

हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना वर्ष २०२५ तक होगी ! – परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी

पूर्वानुमान से संतों ने बताया हुआ आपातकाल भले ही आगे गया हो, तब भी उसका आरंभ कभी भी हो सकता है । कोरोना जैसी महामारी के माध्यम से हमने इसका अनुभव लिया ही है । तीसरे विश्वयुद्ध का आरंभ कभी भी हो सकता है । इसलिए साधक आपातकाल की तैयारी जारी रखें ।

विश्वयुद्ध, भूकंप आदि आपदाओं का प्रत्यक्ष सामना कैसे करें ? (भाग ४)

इस लेख में भूकंप के विषय में जानकारी दी गई है । भूकंप आने से पहले की जानेवाली कुछ तैयारियां, प्रत्यक्ष भूकंप आए तो क्या करना है और भूकंप होने पर क्या करें, इसकी जानकारी दी गई है ।

रासायनिक, जैविक और प्राकृतिक कृषि में अंतर !

आपातकाल में रासायनिक अथवा जैविक खाद उपलब्ध होना कठिन है । प्राकृतिक कृषि पूर्णतः स्वावलंबी कृषि है तथा आपातकाल के लिए, साथ ही सदैव के लिए भी अत्यधिक उपयुक्त है ।

विश्‍वयुद्ध, भूकंप आदि आपदाओं का प्रत्‍यक्ष सामना कैसे करें ? (भाग ३)

जैविक अस्‍त्रों द्वारा होनेवाले आक्रमण – ‘जैविक अस्‍त्र’ क्‍या है ?
मनुष्‍य, पशु तथा फसल पर बीमारी फैलाने हेतु उपयोग में लाए जानेवाले सूक्ष्म जीवाणुओं अथवा विषाणुओं को ‘जैविक अस्‍त्र’ कहते हैं । पशुओं का संक्रामक रोग (एंथ्रेक्‍स), ग्रंथियों का रोग (ग्‍लैंडर्स), एक दिन छोडकर आनेवाला ज्‍वर (ब्रुसेलोसिस), हैजा (कॉलरा), ‘प्‍लेग’, ‘मेलियोआइडोसिस’ इत्‍यादि रोगों के जीवाणुओं एवं विषाणुओं का उपयोग ‘जैविक अस्‍त्र’ के रूप में किया जाता है ।

नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने के पश्चात राजकीय स्तर पर बहुत उतार-चढाव होने से वहां की जनता ने अनुभव की भयावह आपातकालीन स्थिति !

२०.९.२०१५ को नए संविधान के अनुसार नेपाल को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र्र घोषित किया गया । नया संविधान स्वीकारने के पश्चात राजकीय स्तर पर बहुत उतार-चढाव हुए और अब भी हो रहे हैं । अनाज और औषधियों से लेकर औद्योगिक साहित्य तक नेपाल भारत पर ही निर्भर है ।

नि:शुल्क; परंतु बहुमूल्य आयुर्वेदीय औषधियां : सेमल के फूल एवं मक्के के भुट्टे के केश (बाल)

पुणे के श्री. अरविंद जोशी नामक एक सद्गृहस्थ हैं जो विविध भारतीय उपचारपद्धतियों का अभ्यास करनेवाले हैं । उन्होंने अपनी शोध वृत्ति से इन फूलों का औषधीय गुणधर्म ढूंढा और अनेकों को उससे लाभ हुआ । उनके पास इसके अनेक उदाहरण हैं । उनका एक लेख पढकर मैंने भी कुछ रोगियों को ये फूल दिए, तो ध्यान में आया कि उन्हें भी बहुत लाभ हुआ है ।

सनातन का ‘घर-घर रोपण’ अभियान

आजकल बाजार में मिलनेवाले हरी सब्जियां, फल इत्यादि पर हानिकारक रसायनों के फव्वारे किए जाते हैं । ऐसी सब्जियां एवं फल खाने से प्रतिदिन विषैले पदार्थ हमारे पेट में जाते हैं । इससे रोग होते हैं । साधना के लिए शरीर स्वस्थ रखना आवश्यक है ।